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यीशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना

(मरकुस 15:21-32; लूका 23:26-39; यूहन्ना 19:17-19)

32 जब वे बाहर जा ही रहे थे तो उन्हें कुरैन का रहने वाला शिमौन नाम का एक व्यक्ति मिला। उन्होंने उस पर दबाव डाला कि वह यीशु का क्रूस उठा कर चले। 33 फिर जब वे गुलगुता (जिसका अर्थ है “खोपड़ी का स्थान।”) नामक स्थान पर पहुँचे तो 34 उन्होंने यीशु को पित्त मिली दाखरस पीने को दी। किन्तु जब यीशु ने उसे चखा तो पीने से मना कर दिया।

35 सो उन्होंने उसे क्रूस पर चढ़ा दिया और उसके वस्त्र पासा फेंक कर आपस में बाँट लिये। 36 इसके बाद वे वहाँ बैठ कर उस पर पहरा देने लगे। 37 उन्होंने उसका अभियोग पत्र लिखकर उसके सिर पर टाँग दिया, “यह यहूदियों का राजा यीशु है।”

38 इसी समय उसके साथ दो डाकू भी क्रूस पर चढ़ाये जा रहे थे एक उसके दाहिने ओर और दूसरा बायीं ओर। 39 पास से जाते हुए लोग अपना सिर मटकाते हुए उसका अपमान कर रहे थे। 40 वे कह रहे थे, “अरे मन्दिर को गिरा कर तीन दिन में उसे फिर से बनाने वाले, अपने को तो बचा। यदि तू परमेश्वर का पुत्र है तो क्रूस से नीचे उतर आ।”

41 ऐसे ही महायाजक, धर्मशास्त्रियों और बुज़ुर्ग यहूदी नेताओं के साथ उसकी यह कहकर हँसी उड़ा रहे थे: 42 “दूसरों का उद्धार करने वाला यह अपना उद्धार नहीं कर सकता! यह इस्राएल का राजा है। यह क्रूस से अभी नीचे उतरे तो हम इसे मान लें। 43 यह परमेश्वर में विश्वास करता है। सो यदि परमेश्वर चाहे तो अब इसे बचा ले। आखिर यह तो कहता भी था, ‘मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ।’” 44 उन लुटेरों ने भी जो उसके साथ क्रूस पर चढ़ाये गये थे, उसकी ऐसे ही हँसी उड़ाई।

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क्रूस-मार्ग पर येशु

(मारक 15:21-24; लूकॉ 23:26-31; योहन 19:17)

32 जब वे बाहर निकले, उन्हें शिमोन नामक एक व्यक्ति, जो कुरैनवासी था, दिखाई दिया. उन्होंने उसे येशु का क्रूस उठा कर चलने के लिए मजबूर किया. 33 जब वे सब गोलगोथा नामक स्थल पर पहुँचे, जिसका अर्थ है खोपड़ी का स्थान, 34 उन्होंने येशु को पीने के लिए दाखरस तथा कड़वे रस का मिश्रण दिया किन्तु उन्होंने मात्र चख कर उसे पीना अस्वीकार कर दिया.

35 येशु को क्रूसित करने के बाद उन्होंने उनके वस्त्रों को आपस में बांट लेने के लिए पासा फेंका 36 और वहीं बैठ कर उनकी चौकसी करने लगे. 37 उन्होंने उनके सिर के ऊपर दोषपत्र लगा दिया था, जिस पर लिखा था: “यह येशु है—यहूदियों का राजा.”

38 उसी समय दो अपराधियों को भी उनके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया था, एक को उनकी दायीं ओर, दूसरे को उनकी बायीं ओर.

39 जो भी उस रास्ते से निकलता था, निन्दा करता हुआ निकलता था. वे सिर हिला-हिला कर कहते जाते थे, 40 “अरे तू! तू तो कहता था कि मन्दिर को ढाह दो और मैं इसे तीन दिन में खड़ा कर दूँगा, अब स्वयं को तो बचा कर दिखा! यदि तू परमेश्वर का पुत्र है तो उतर आ क्रूस से!” 41 इसी प्रकार प्रधान याजक भी शास्त्रियों और पुरनियों के साथ मिल कर उनका उपहास करते हुए कह रहे थे, 42 “दूसरों को तो बचाता फिरा है, स्वयं को नहीं बचा सकता! इस्राएल का राजा है! क्रूस से नीचे आकर दिखाए तो हम इसका विश्वास कर लेंगे. 43 यह परमेश्वर में विश्वास करता है क्योंकि इसने दावा किया था, ‘मैं ही परमेश्वर-पुत्र हूँ,’ तब परमेश्वर इसे अभी छुड़ा दें—यदि वह इससे प्रेम करते हैं.” 44 उनके साथ क्रूस पर चढ़ाये गए राजद्रोही भी इसी प्रकार उनकी उल्लाहना कर रहे थे.

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