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यीशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना

(मत्ती 27:32-44; लूका 23:26-39; यूहन्ना 19:17-19)

21 उन्हें कुरैन का रहने वाला शिमौन नाम का एक व्यक्ति, रास्ते में मिला। वह गाँव से आ रहा था। वह सिकन्दर और रुफुस का पिता था। सिपाहियों ने उस पर दबाव डाला कि वह यीशु का क्रूस उठा कर चले। 22 फिर वे यीशु को गुलगुता (जिसका अर्थ है “खोपड़ी-स्थान”) नामक स्थान पर ले गये। 23 तब उन्होंने उसे लोहबान मिला हुआ दाखरस पीने को दिया। किन्तु उसने उसे नहीं लिया। 24 फिर उसे क्रूस पर चढ़ा दिया गया। उसके वस्त्र उन्होंने बाँट लिये और यह देखने के लिए कि कौन क्या ले, उन्होंने पासे फेंके।

25 दिन के नौ बजे थे, जब उन्होंने उसे क्रूस पर चढ़ाया। 26 उसके विरुद्ध एक लिखित अभियोग पत्र उस पर अंकित था: “यहूदियों का राजा।” 27 उसके साथ दो डाकू भी क्रूस पर चढ़ाये गये। एक उसके दाहिनी ओर और दूसरा बाँई ओर। 28 [a]

29 उसके पास से निकलते हुए लोग उसका अपमान कर रहे थे। अपना सिर नचा-नचा कर वे कहते, “अरे, वाह! तू वही है जो मन्दिर को ध्वस्त कर तीन दिन में फिर बनाने वाला था। 30 अब क्रूस पर से नीचे उतर और अपने आप को तो बचा ले!”

31 इसी तरह प्रमुख याजकों और धर्मशास्त्रियों ने भी यीशु की खिल्ली उड़ाई। वे आपस में कहने लगे, “यह औरों का उद्धार करता था, पर स्वयं अपने को नहीं बचा सकता है। 32 अब इस ‘मसीह’ और ‘इस्राएल के राजा को’ क्रूस पर से नीचे तो उतरने दे ताकि हम यह देख कर उसमें विश्वास कर सकें।” उन दोनों ने भी, जो उसके साथ क्रूस पर चढ़ाये गये थे, उसका अपमान किया।

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Footnotes

  1. 15:28 कुछ यूनानी प्रतियों में पद 28 जोड़ा गया है: “तब धर्मशास्त्र का वह वचन, ‘वह डाकूओं के संग गिना गया, पूरा हुआ।’”