Add parallel Print Page Options

यीशु यहूदी नेताओं के सामने

(मत्ती 26:59-66; मरकुस 14:55-64; यूहन्ना 18:19-24)

66 जब दिन हुआ तो प्रमुख याजकों और धर्मशास्त्रियों समेत लोगों के बुजुर्ग नेताओं की एक सभा हुई। फिर वे लोग उसे अपनी महासभा में ले गये। 67 उन्होंने पूछा, “हमें बता क्या तू मसीह है?”

यीशु ने उनसे कहा, “यदि मैं तुमसे कहूँ तो तुम मेरा विश्वास नहीं करोगे। 68 और यदि मैं पूछूँ तो तुम उत्तर नहीं दोगे। 69 किन्तु अब से मनुष्य का पुत्र सर्वशक्तिमान परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठाया जायेगा।”

70 वे सब बोले, “तो क्या तू परमेश्वर का पुत्र है?” उसने कहा, “हाँ, मैं हूँ।”

71 फिर उन्होंने कहा, “अब हमें किसी और प्रमाण की आवश्यकता क्यों है? हमने स्वयं इसके अपने मुँह से यह सुन तो लिया है।”

Read full chapter

मसीह येशु पिलातॉस के न्यायालय में

(मत्ति 27:1, 2; मारक 15:1)

66 पौ फटने पर पुरनिये लोगों ने प्रधान पुरोहितों तथा शास्त्रियों की एक सभा बुलाई और मसीह येशु को महासभा में ले गए. 67 उन्होंने मसीह येशु से प्रश्न किया, “यदि तुम ही मसीह हो तो हमें बता दो.” 68 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “यदि मैं आपको यह बताऊँगा तो भी आप इसका विश्वास नहीं करेंगे और यदि मैं आप से कोई प्रश्न करूँ तो आप उसका उत्तर ही न देंगे; 69 किन्तु अब इसके बाद मनुष्य का पुत्र सर्वशक्तिमान परमेश्वर की दायीं ओर बैठाया जाएगा.”

70 उन्होंने प्रश्न किया, “तो क्या तुम परमेश्वर के पुत्र हो?” मसीह येशु ने उत्तर दिया, “जी हाँ, मैं हूँ.”

71 यह सुन वे कहने लगे, “अब हमें गवाहों की ज़रूरत ही न रही—स्वयं हमने यह इसके मुख से सुन लिया है.” इस पर सारी सभा उठ खड़ी हुई और वे मसीह येशु को राज्यपाल पिलातॉस के पास ले गए.

Read full chapter