Add parallel Print Page Options

39 और तुम्हारी यह रीति है कि फ़सह पर्व के अवसर पर मैं तुम्हारे लिए किसी एक को मुक्त कर दूँ। तो क्या तुम चाहते हो कि मैं इस ‘यहूदियों के राजा’ को तुम्हारे लिये छोड़ दूँ?”

40 एक बार वे फिर चिल्लाये, “इसे नहीं, बल्कि बरअब्बा को छोड़ दो।” (बरअब्बा एक बाग़ी था।)

19 तब पिलातुस ने यीशु को पकड़वा कर कोड़े लगवाये। फिर सैनिकों ने कँटीली टहनियों को मोड़ कर एक मुकुट बनाया और उसके सिर पर रख दिया। और उसे बैंजनी रंग के कपड़े पहनाये। और उसके पास आ-आकर कहने लगे, “यहूदियों का राजा जीता रहे” और फिर उसे थप्पड़ मारने लगे।

पिलातुस एक बार फिर बाहर आया और उनसे बोला, “देखो, मैं तुम्हारे पास उसे फिर बाहर ला रहा हूँ ताकि तुम जान सको कि मैं उसमें कोई खोट नहीं पा सका।” फिर यीशु बाहर आया। वह काँटो का मुकुट और बैंजनी रंग का चोगा पहने हुए था। तब पिलातुस ने कहा, “यह रहा वह पुरुष।”

जब उन्होंने उसे देखा तो महायाजकों और मन्दिर के पहरेदारों ने चिल्ला कर कहा, “इसे क्रूस पर चढ़ा दो। इसे क्रूस पर चढ़ा दो।”

पिलातुस ने उससे कहा, “तुम इसे ले जाओ और क्रूस पर चढ़ा दो, मैं इसमें कोई खोट नहीं पा सक रहा हूँ।”

यहूदियों ने उसे उत्तर दिया, “हमारी व्यवस्था है जो कहती है, इसे मरना होगा क्योंकि इसने परमेश्वर का पुत्र होने का दावा किया है।”

अब जब पिलातुस ने उन्हें यह कहते सुना तो वह बहुत डर गया। और फिर राजभवन के भीतर जाकर यीशु से कहा, “तू कहाँ से आया है?” किन्तु यीशु ने उसे उत्तर नहीं दिया। 10 फिर पिलातुस ने उससे कहा, “क्या तू मुझसे बात नहीं करना चाहता? क्या तू नहीं जानता कि मैं तुझे छोड़ने का अधिकार रखता हूँ और तुझे क्रूस पर चढ़ाने का भी मुझे अधिकार है।”

11 यीशु ने उसे उत्तर दिया, “तुम्हें तब तक मुझ पर कोई अधिकार नहीं हो सकता था जब तक वह तुम्हें परम पिता द्वारा नहीं दिया गया होता। इसलिये जिस व्यक्ति ने मुझे तेरे हवाले किया है, तुझसे भी बड़ा पापी है।”

12 यह सुन कर पिलातुस ने उसे छोड़ने का कोई उपाय ढूँढने का यत्न किया। किन्तु यहूदी चिल्लाये, “यदि तू इसे छोड़ता है, तो तू कैसर का मित्र नहीं है, कोई भी जो अपने आप को राजा होने का दावा करता है, वह कैसर का विरोधी है।”

13 जब पिलातुस ने ये शब्द सुने तो वह यीशु को बाहर उस स्थान पर ले गया जो “पत्थर का चबूतरा” कहलाता था। (इसे इब्रानी भाषा में गब्बता कहा गया है।) और वहाँ न्याय के आसन पर बैठा। 14 यह फ़सह सप्ताह की तैयारी का दिन था।[a] लगभग दोपहर हो रही थी। पिलातुस ने यहूदियों से कहा, “यह रहा तुम्हारा राजा!”

15 वे फिर चिल्लाये, “इसे ले जाओ! इसे ले जाओ। इसे क्रूस पर चढ़ा दो!”

पिलातुस ने उनसे कहा, “क्या तुम चाहते हो तुम्हारे राजा को मैं क्रूस पर चढ़ाऊँ?”

इस पर महायाजकों ने उत्तर दिया, “कैसर को छोड़कर हमारा कोई दूसरा राजा नहीं है।”

16 फिर पिलातुस ने उसे क्रूस पर चढ़ाने के लिए उन्हें सौंप दिया।

यीशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना

(मत्ती 27:32-44; मरकुस 15:21-32; लूका 23:26-39)

इस तरह उन्होंने यीशु को हिरासत में ले लिया।

Footnotes

  1. 19:14 तैयारी का दिन अर्थात् शुक्रवार जब यहूदी सब्त की तैयारी करते थे।

39 किन्तु तुम्हारी एक परम्परा है कि फ़सह के अवसर पर मैं तुम्हारे लिए किसी एक को रिहा करूँ. इसलिए क्या तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिए यहूदियों का राजा रिहा कर दूँ?”

40 इस पर वे चिल्ला कर बोले, “इसे नहीं! बार-अब्बा को!”—जबकि बार-अब्बा विद्रोही था.

मसीह येशु का क्रूस मृत्युदण्ड

19 इसलिए पिलातॉस ने मसीह येशु को भीतर ले जा कर उन्हें कोड़े लगवाए. सैनिकों ने काँटों का एक मुकुट गूँथ कर उनके सिर पर रखा और उनके ऊपर एक बैंगनी वस्त्र डाल दिया और वे एक-एक कर उनके सामने आ कर उनके मुख पर प्रहार करते हुए कहने लगे, “यहूदियों के राजा की जय!”

पिलातॉस ने दोबारा आ कर भीड़ से कहा, “देखो, मैं उसे तुम्हारे लिए बाहर ला रहा हूँ कि तुम जान लो कि मुझे उसमें कोई दोष नहीं मिला.” तब काँटों का मुकुट व बैंगनी वस्त्र धारण किए हुए मसीह येशु को बाहर लाया गया और पिलातॉस ने लोगों से कहा, “देखो, इसे!”

जब प्रधान पुरोहितों और सेवकों ने मसीह येशु को देखा तो चिल्ला कर कहने लगे, “क्रूसदण्ड़! क्रूसदण्ड़!” पिलातॉस ने उनसे कहा, “इसे ले जाओ और तुम ही दो इसे मृत्युदण्ड क्योंकि मुझे तो इसमें कोई दोष नहीं मिला.” यहूदियों ने उत्तर दिया, “हमारा एक नियम है. उस नियम के अनुसार इस व्यक्ति को मृत्युदण्ड ही मिलना चाहिए क्योंकि यह स्वयं को परमेश्वर का पुत्र बताता है.”

जब पिलातॉस ने यह सुना तो वह और अधिक भयभीत हो गया. तब उसने दोबारा राजभवन में जाकर मसीह येशु से पूछा, “तुम कहाँ के हो?” किन्तु मसीह येशु ने उसे कोई उत्तर नहीं दिया. 10 इसलिए पिलातॉस ने उनसे कहा, “तुम बोलते क्यों नहीं? क्या तुम नहीं जानते कि मुझे यह अधिकार है कि मैं तुम्हें मुक्त कर दूँ और यह भी कि तुम्हें मृत्युदण्ड दूँ?”

11 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “आपका मुझ पर कोई अधिकार न होता यदि वह आपको ऊपर से न दिया गया होता. अत्यंत नीच है उसका पाप, जिसने मुझे आपके हाथ सौंपा है.” 12 परिणामस्वरूप पिलातॉस ने उन्हें मुक्त करने के यत्न किए किन्तु यहूदियों ने चिल्ला-चिल्ला कर कहा, “यदि आपने इस व्यक्ति को मुक्त किया तो आप कयसर के मित्र नहीं हैं. हर एक, जो स्वयं को राजा दर्शाता है, वह कयसर का विरोधी है.”

13 ये सब सुन कर पिलातॉस मसीह येशु को बाहर लाया और न्याय आसन पर बैठ गया, जो उस स्थान पर था, जिसे इब्री भाषा में गब्बथा अर्थात् चबूतरा कहा जाता है. 14 यह फ़सह की तैयारी के दिन का छठा घण्टा था. पिलातॉस ने यहूदियों से कहा.

“यह लो, तुम्हारा राजा.”

15 इस पर वे चिल्लाने लगे, “इसे यहाँ से ले जाओ! ले जाओ इसे यहाँ से और मृत्युदण्ड दो!”

पिलातॉस ने उनसे पूछा, “क्या मैं तुम्हारे राजा को मृत्युदण्ड दूँ?”

प्रधान पुरोहितों ने कहा, “कयसर के अतिरिक्त हमारा कोई राजा नहीं है.”

16 तब पिलातॉस ने क्रूस-मृत्युदण्ड के लिए मसीह येशु को उनके हाथ सौंप दिया.