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ईसू इ मउत

(मरकुस 15:33-41; लूका 23:44-49; यूहन्ना 19:28-30)

45 फिन समूची धरती प दुपहर स तीन बजे तलक अँधियारा छावा रहा। 46 कउनो तीन बजे क लगभग ईसू ऊँच अवाजे मँ चिल्लान, “एली, एली, लमा सबक्तानी?” अरथ, “मोरे परमेस्सर, हे मोरे परमेस्सर, तू मोका काहे बिसार दिहा ह?”

47 हुवाँ खड़ा भवा मनइयन मँ स कछू इ सुनिके कहइ लागेन, “यह एलिय्याह क पुकारत अहइ।”

48 फिन फउरन ओनमाँ स एक मनई धावत सिरका मँ बोरा भवा स्पंज एक डंडी पइ लटकाइ क लइ आवा अउर ओका ईसू क चूसइ बरे दिहस। 49 मुला दूसर लोग कहत रहेन, “छोड़ द्या, देखित ह कि एलिय्याह ऍका बचावइ आवत ह कि नाहीं।”

50 ईसू फिन एक दाईं ऊँच सुरे मँ चिल्लाइ क प्राण तजि दिहस।

51 उहइ समइया मन्दिरे क परदा ऊपर स तरखाले तलक फाटिके दुइ टुकड़न मँ बाँटि गवा। धरती डोल उठी। चट्टानन फाट पड़िन। 52 हियाँ तलक कब्रन खुलि गइन अउर परमेस्सर क मरा भएन भक्तन क बहोतन सरीर जी उठेन। 53 उ पचे कब्रन स निकरि आएन अउर ईसू क जी जाइ क पाछे पवित्तर नगर मँ जाइके बहोतन क देखाइॅ दिहेन।

54 रोम क फऊजी नायक अउर ईसू क पहरुअन भूँइडोल अउर वइसी ही दूसर घटनन क लखिके डेराअ गएन। उ पचे बोलेन, “ईसू असिल मँ परमेस्सर क पूत रहा!”

55 हुवाँ ढेरि के स्त्रियन खड़ी रहिन जउन दूरे स लखत रहिन। उ पचे ईसू क देखभाल बरे गलील स ओकरे पाछे पाछे आवत रहिन। 56 ओनमाँ स मरियम मगदलीनी, याकूब अउर यूसुफ क महतारी मरियम तथा जब्दी क बेटवन की महतारी रही।

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