मत्ती 27:11-31
Hindi Bible: Easy-to-Read Version
पिलातुस का यीशु से प्रश्न
(मरकुस 15:2-5; लूका 23:3-5; यूहन्ना 18:33-38)
11 इसी बीच यीशु राज्यपाल के सामने पेश हुआ। राज्यपाल ने उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है?”
यीशु ने कहा, “हाँ, मैं हूँ।”
12 दूसरी तरफ जब प्रमुख याजक और बुज़ुर्ग यहूदी नेता उस पर दोष लगा रहे थे तो उसने कोई उत्तर नहीं दिया।
13 तब पिलातुस ने उससे पूछा, “क्या तू नहीं सुन रहा है कि वे तुझ पर कितने आरोप लगा रहे हैं?”
14 किन्तु यीशु ने पिलातुस को किसी भी आरोप का कोई उत्तर नहीं दिया। पिलातुस को इस पर बहुत अचरज हुआ।
यीशु को छोड़ने में पिलातुस असफल
(मरकुस 15:6-15; लूका 23:13-25; यूहन्ना 18:39-19:16)
15 फसह पर्व के अवसर पर राज्यपाल का रिवाज़ था कि वह किसी भी एक कैदी को, जिसे भीड़ चाहती थी, उनके लिए छोड़ दिया करता था। 16 उसी समय बरअब्बा नाम का एक बदनाम कैदी वहाँ था।
17 सो जब भीड़ आ जुटी तो पिलातुस ने उनसे पूछा, “तुम क्या चाहते हो, मैं तुम्हारे लिये किसे छोड़ूँ, बरअब्बा को या उस यीशु को, जो मसीह कहलाता है?” 18 पिलातुस जानता था कि उन्होंने उसे डाह के कारण पकड़वाया है।
19 पिलातुस जब न्याय के आसन पर बैठा था तो उसकी पत्नी ने उसके पास एक संदेश भेजा, “उस सीधे सच्चे मनुष्य के साथ कुछ मत कर बैठना। मैंने उसके बारे में एक सपना देखा है जिससे आज सारे दिन मैं बेचैन रही।”
20 किन्तु प्रमुख याजकों और बुज़ुर्ग यहूदी नेताओं ने भीड़ को बहकाया, फुसलाया कि वह पिलातुस से बरअब्बा को छोड़ने की और यीशु को मरवा डालने की माँग करें।
21 उत्तर में राज्यपाल ने उनसे पूछा, “मुझ से दोनों कैदियों में से तुम अपने लिये किसे छुड़वाना चाहते हो?”
उन्होंने उत्तर दिया, “बरअब्बा को!”
22 तब पिलातुस ने उनसे पूछा, “तो मैं, जो मसीह कहलाता है उस यीशु का क्या करूँ?”
वे सब बोले, “उसे क्रूस पर चढ़ा दो।”
23 पिलातुस ने पूछा, “क्यों, उसने क्या अपराध किया है?”
किन्तु वे तो और अधिक चिल्लाये, “उसे क्रूस पर चढ़ा दो।”
24 पिलातुस ने देखा कि अब कोई लाभ नहीं। बल्कि दंगा भड़कने को है। सो उसने थोड़ा पानी लिया और भीड़ के सामने अपने हाथ धोये, वह बोला, “इस व्यक्ति के खून से मेरा कोई सरोकार नहीं है। यह तुम्हारा मामला है।”
25 उत्तर में सब लोगों ने कहा, “इसकी मौत की जवाबदेही हम और हमारे बच्चे स्वीकार करते हैं।”
26 तब पिलातुस ने उनके लिए बरअब्बा को छोड़ दिया और यीशु को कोड़े लगवा कर क्रूस पर चढ़ाने के लिए सौंप दिया।
यीशु का उपहास
(मरकुस 15:16-20; यूहन्ना 19:2-3)
27 फिर पिलातुस के सिपाही यीशु को राज्यपाल निवास के भीतर ले गये। वहाँ उसके चारों तरफ सिपाहियों की पूरी पलटन इकट्ठी हो गयी। 28 उन्होंने उसके कपड़े उतार दिये और चमकीले लाल रंग के वस्त्र पहना कर 29 काँटों से बना एक ताज उसके सिर पर रख दिया। उसके दाहिने हाथ में एक सरकंडा थमा दिया और उसके सामने अपने घुटनों पर झुक कर उसकी हँसी उड़ाते हुए बोले, “यहूदियों का राजा अमर रहे।” 30 फिर उन्होंने उसके मुँह पर थूका, छड़ी छीन ली और उसके सिर पर मारने लगे। 31 जब वे उसकी हँसी उड़ा चुके तो उसकी पोशाक उतार ली और उसे उसके अपने कपड़े पहना कर क्रूस पर चढ़ाने के लिये ले चले।
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मत्तियाह 27:11-31
Saral Hindi Bible
येशु दोबारा पिलातॉस के सामने
(मारक 15:2-5; लूकॉ 23:1-5; योहन 18:28-38)
11 येशु राज्यपाल के सामने लाए गए और राज्यपाल ने उनसे प्रश्न करने प्रारम्भ किए, “क्या तुम यहूदियों के राजा हो?”
येशु ने उसे उत्तर दिया, “यह आप स्वयं ही कह रहे हैं.”
12 जब येशु पर प्रधान पुरोहितों और पुरनियों द्वारा आरोप पर आरोप लगाए जा रहे थे, येशु मौन बने रहे. 13 इस पर पिलातॉस ने येशु से कहा, “क्या तुम सुन नहीं रहे ये लोग तुम पर कितने आरोप लगा रहे हैं?” 14 येशु ने पिलातॉस को किसी भी आरोप का कोई उत्तर न दिया. राज्यपाल के लिए यह अत्यन्त आश्चर्यजनक था.
15 फ़सह उत्सव पर परम्परा के अनुसार राज्यपाल की ओर से उस बन्दी को, जिसे लोग चाहते थे, छोड़ दिया जाता था. 16 उस समय बन्दीगृह में बार-अब्बास नामक एक कुख्यात अपराधी बन्दी था. 17 इसलिए जब लोग इकट्ठा हुए पिलातॉस ने उनसे प्रश्न किया, “मैं तुम्हारे लिए किसे छोड़ दूँ, बार-अब्बास को या येशु को, जो मसीह कहलाता है? क्या चाहते हो तुम?” 18 पिलातॉस को यह मालूम हो चुका था कि मात्र जलन के कारण ही उन्होंने येशु को उनके हाथों में सौंपा था.
19 जब पिलातॉस न्यायासन पर बैठा था, उसकी पत्नी ने उसे यह सन्देश भेजा, “उस धर्मी व्यक्ति को कुछ न करना क्योंकि पिछली रात मुझे स्वप्न में उसके कारण घोर पीड़ा हुई है.”
20 इस पर प्रधान पुरोहितों और पुरनियों ने भीड़ को उकसाया कि वे बार-अब्बास की मुक्ति की और येशु के मृत्युदण्ड की माँग करें.
21 राज्यपाल ने उनसे पूछा, “क्या चाहते हो, दोनों में से मैं किसे छोड़ दूँ?” भीड़ का उत्तर था.
“बार-अब्बास को.”
22 इस पर पिलातॉस ने उनसे पूछा, “तब मैं येशु का, जो मसीह कहलाता है, क्या करूँ?”
उन सभी ने एक साथ कहा.
“उसे क्रूस पर चढ़ाया जाए!”
23 पिलातॉस ने पूछा, “क्यों? क्या अपराध है उसका?”
किन्तु वे और अधिक चिल्लाने लगे, “क्रूस पर चढ़ाया जाए उसे!”
24 जब पिलातॉस ने देखा कि वह कुछ भी नहीं कर पा रहा परन्तु हुल्लड़ की सम्भावना है तो उसने भीड़ के सामने अपने हाथ धोते हुए यह घोषणा कर दी, “मैं इस व्यक्ति के लहू का दोषी नहीं हूँ. तुम ही इसके लिए उत्तरदायी हो.”
25 लोगों ने उत्तर दिया, “इसकी हत्या का दोष हम पर तथा हमारी सन्तान पर हो!”
26 तब पिलातॉस ने उनके लिए बार-अब्बास को मुक्त कर दिया किन्तु येशु को कोड़े लगवा कर क्रूसित करने के लिए भीड़ के हाथों में सौंप दिया.
येशु के सिर पर काँटों का मुकुट
(मारक 15:16-20)
27 तब पिलातॉस के सैनिक येशु को प्राइतोरियम (किले में) ले गए और सारे सैनिकों ने उन्हें घेर लिया. 28 जो वस्त्र येशु पहने हुए थे, उतार कर उन्होंने उन्हें एक चमकीला लाल वस्त्र पहना दिया. 29 उन्होंने एक कँटीली लता को गूँथ कर उसका मुकुट बना उनके सिर पर रख दिया और उनके दायें हाथ में एक नरकुल की एक छड़ी थमा दी. तब वे उनके सामने घुटने टेक कर यह कहते हुए उनका मज़ाक करने लगे, “यहूदियों के राजा की जय!” 30 उन्होंने येशु पर थूका भी और फिर उनके हाथ से उस नरकुल छड़ी को ले कर उसी से उनके सिर पर प्रहार करने लगे. 31 इस प्रकार जब वे येशु का उपहास कर चुके, उन्होंने वह लाल वस्त्र उतार कर उन्हीं के वस्त्र उन्हें पहना दिए और उन्हें उस स्थल पर ले जाने लगे जहाँ उन्हें क्रूस पर चढ़ाया जाना था.
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