मत्ती 12:22-30
Hindi Bible: Easy-to-Read Version
यीशु में परमेश्वर की शक्ति है
(मरकुस 3:20-30; लूका 11:14-23; 12:10)
22 फिर यीशु के पास लोग एक ऐसे अन्धे को लाये जो गूँगा भी था क्योंकि उस पर दुष्ट आत्मा सवार थी। यीशु ने उसे चंगा कर दिया और इसीलिये वह गूँगा अंधा बोलने और देखने लगा। 23 इस पर सभी लोगों को बहुत अचरज हुआ और वे कहने लगे, “क्या यह व्यक्ति दाऊद का पुत्र हो सकता है?”
24 जब फरीसियों ने यह सुना तो वे बोले, “यह दुष्टात्माओं को उनके शासक बैल्जा़बुल[a] के सहारे निकालता है।”
25 यीशु को उनके विचारों का पता चल गया। वह उनसे बोला, “हर वह राज्य जिसमें फूट पड़ जाती है, नष्ट हो जाता है। वैसे ही हर नगर या परिवार जिसमें फूट पड़ जाये टिका नहीं रहेगा। 26 तो यदि शैतान ही अपने आप को बाहर निकाले फिर तो उसमें अपने ही विरुद्ध फूट पड़ गयी है। सो उसका राज्य कैसे बना रहेगा? 27 और फिर यदि यह सच है कि मैं बैल्ज़ाबुल के सहारे दुष्ट आत्माओं को निकालता हूँ तो तुम्हारे अनुयायी किसके सहारे उन्हें बाहर निकालते हैं? सो तुम्हारे अपने अनुयायी ही सिद्ध करेंगे कि तुम अनुचित हो। 28 मैं दुष्टात्माओं को परमेश्वर की आत्मा की शक्ति से निकालता हूँ। इससे यह सिद्ध है कि परमेश्वर का राज्य तुम्हारे निकट ही आ पहुँचा है। 29 फिर कोई किसी बलवान के घर में घुस कर उसका माल कैसे चुरा सकता है, जब तक कि पहले वह उस बलवान को बाँध न दे। तभी वह उसके घर को लूट सकता है। 30 जो मेरा साथ नहीं है, मेरा विरोधी हैं। और जो बिखरी हुई भेड़ों को इकट्ठा करने में मेरी मदद नहीं करता है, वह उन्हें बिखरा रहा है।
Read full chapterFootnotes
- 12:24 बैल्जाबुल यह दुष्टात्माओं के राजा “शैतान” का नाम है।
मत्तियाह 12:22-30
Saral Hindi Bible
येशु पर शैतान का दूत होने का आरोप
(मारक 3:20-30; लूकॉ 11:14-28)
22 तब येशु के सामने एक ऐसा व्यक्ति लाया गया, जो प्रेतात्मा से पीड़ित था. वह अंधा तथा गूँगा था. येशु ने उसे स्वस्थ कर दिया. परिणामस्वरूप वह व्यक्ति बातें करने और देखने लगा. 23 सभी भीड़ चकित रह गई. मौज़ूद लोग आपस में विचार कर रहे थे, “कहीं यही दाविद का वह वंशज तो नहीं?”
24 किन्तु यह सुन कर फ़रीसियों ने इसके विषय में अपना मत दिया, “यह व्यक्ति केवल प्रेतों के प्रधान शैतान की सहायता से प्रेतों को निकाला करता है.”
25 उनके विचारों के विषय में मालूम होने पर येशु ने उनसे कहा, “कोई भी ऐसा राज्य, जिसमें फूट पड़ी हो, मिट जाता है. कोई भी नगर या परिवार फूट की स्थिति में स्थिर नहीं रह पाता. 26 यदि शैतान ही शैतान को बाहर निकाला करे तो वह अपना ही विरोधी हो जाएगा, तब भला उसका शासन स्थिर कैसे रह सकेगा? 27 यदि मैं प्रेतों को शैतान के सहयोग से बाहर निकाला करता हूँ तो फिर तुम्हारी सन्तान उनको कैसे बाहर करती है? परिणामस्वरूप वे ही तुम पर आरोप लगाएँगे. 28 परन्तु यदि मैं प्रेतों को परमेश्वर के आत्मा के द्वारा बाहर कर रहा हूँ तो यह साबित हो गया है कि तुम्हारे बीच परमेश्वर का राज्य आ चुका है.
29 “भला यह कैसे सम्भव है कि कोई किसी बलवान व्यक्ति के घर में प्रवेश कर उसकी सम्पत्ति लूट ले? हाँ, यदि बलवान व्यक्ति को पहले बान्ध दिया जाए, तब उसकी सम्पत्ति को लूट लेना सम्भव है.
30 “वह, जो मेरे पक्ष में नहीं, मेरे विरुद्ध है और वह, जो मेरे साथ इकट्ठा नहीं करता, वह बिखेरता है.
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