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यीशु ने इन बारहों को बाहर भेजते हुए आज्ञा दी, “गै़र यहूदियों के क्षेत्र में मत जाओ तथा किसी भी सामरी नगर में प्रवेश मत करो। बल्कि इस्राएल के परिवार की खोई हुई भेड़ों के पास ही जाओ और उन्हें उपदेश दो, ‘स्वर्ग का राज्य निकट है।’ बीमारों को ठीक करो, मरे हुओं को जीवन दो, कोढ़ियों को चंगा करो और दुष्टात्माओं को निकालो। तुमने बिना कुछ दिये प्रभु की आशीष और शक्तियाँ पाई हैं, इसलिये उन्हें दूसरों को बिना कुछ लिये मुक्त भाव से बाँटो। अपने पटुके में सोना, चाँदी या ताँबा मत रखो। 10 यात्रा के लिए कोई झोला तक मत लो। कोई फालतू कुर्ता, चप्पल और छड़ी मत रखो क्योंकि मज़दूर का उसके खाने पर अधिकार है।

11 “तुम लोग जब कभी किसी नगर या गाँव में जाओ तो पता करो कि वहाँ विश्वासयोग्य कौन है। फिर तब तक वहीं ठहरे रहो जब तक वहाँ से चल न दो। 12 जब तुम किसी घर-बार में जाओ तो परिवार के लोगों का सत्कार करते हुए कहो, ‘तुम्हें शांति मिले।’ 13 यदि घर-बार के लोग योग्य होंगे तो तुम्हारा आशीर्वाद उनके साथ साथ रहेगा और यदि वे इस योग्य न होंगे तो तुम्हारा आशीर्वाद तुम्हारे पास वापस आ जाएगा। 14 यदि कोई तुम्हारा स्वागत न करे या तुम्हारी बात न सुने तो उस घर या उस नगर को छोड़ दो। और अपने पाँव में लगी वहाँ की धूल वहीं झाड़ दो। 15 मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि जब न्याय होगा, उस दिन उस नगर की स्थिति से सदोम और अमोरा[a] नगरों की स्थिति कहीं अच्छी होगी।

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Footnotes

  1. 10:15 सदोम और अमोरा ये उन दो नगरों के नाम हैं जिन्हें वहाँ के निवासियों को उनके पापों का दण्ड देने के लिये प्रभु ने नष्ट कर दिया था।

येशु ने इन बारहों को इन निर्देशों के साथ विदा किया: “अन्यजातियों के मध्य न जाओ और शोमरोन प्रदेश के किसी भी नगर में प्रवेश न करना. परन्तु इस्राएल घराने की खोई हुई भेड़ों के पास जाओ. जाते हुए यह घोषणा करते जाओ, ‘स्वर्ग-राज्य समीप आ पहुँचा है.’ रोगियों को स्वस्थ, मरे हुओ को जिलाओ, कोढ़ रोगियों[a] को शुद्ध तथा प्रेतों को निकालते जाओ. तुमने बिना दाम के प्राप्त किया है, बिना दाम लिए देते जाओ. यात्रा में अपने लिए सोना, चांदी तथा ताँबे के सिक्कों को जमा न करना. 10 यात्रा के लिए न थैला, न वस्त्रों के दूसरे जोड़े, न जूते और न ही लाठी साथ ले जाना क्योंकि भरण पोषण. हर एक मज़दूर का अधिकार है.

11 “किसी भी गाँव या नगर में प्रवेश करने पर योग्य व्यक्ति की खोज करना और वहाँ से विदा होने तक उसी के अतिथि हो कर रहना. 12 उस घर में प्रवेश करते समय उनके लिए मंगलकामना करना. 13 यदि वह घर इस योग्य लगे तो उसके लिए शान्ति की कामना करना; यदि वह इसके योग्य न लगे तो अपनी शान्ति की कामना अपने पास लौट आने देना. 14 जो कोई तुम्हारा स्वागत न करे या तुम्हारी न सुने उस घर से या उस नगर से बाहर आते हुए अपने चरणों की धूल तक वहीं झाड़ देना. 15 सच तो यह है कि न्याय के दिन पर उस नगर की तुलना में सदोम और अमोराह का दण्ड कहीं अधिक सहनीय होगा.

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Footnotes

  1. 10:8 इस रोग के लिए प्रयुक्त मूल यूनानी शब्द विभिन्न चर्म रोगों के लिए भी प्रयुक्त होता था.