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यीशु का बंदी बनाया जाना

(मत्ती 26:47-56; लूका 22:47-53; यूहन्ना 18:3-12)

43 यीशु बोल ही रहा था कि उसके बारह शिष्यों में से एक यहूदा वहाँ दिखाई पड़ा। उसके साथ लाठियाँ और तलवारें लिए एक भीड़ थी, जिसे याजकों, धर्मशास्त्रियों और बुजुर्ग यहूदी नेताओं ने भेजा था।

44 धोखे से पकड़वाने वाले ने उन्हें यह संकेत बता रखा था, “जिसे मैं चूँमू वही वह है। उसे हिरासत में ले लेना और पकड़ कर सावधानी से ले जाना।” 45 सो जैसे ही यहूदा वहाँ आया, उसने यीशु के पास जाकर कहा, “रब्बी!” और उसे चूम लिया। 46 फिर तूरंत उन्होंने उसे पकड़ कर हिरासत में ले लिया। 47 उसके एक शिष्य ने जो उसके पास ही खड़ा था अपनी तलवार खींच ली और महायाजक के एक दास पर चला दी जिससे उसका कान कट गया।

48 फिर यीशु ने उनसे कहा, “क्या मैं कोई अपराधी हूँ जिसे पकड़ने तुम लाठी-तलवार ले कर आये हो? 49 हर दिन मन्दिर में उपदेश देते हुए मैं तुम्हारे साथ ही था किन्तु तुमने मुझे नहीं पकड़ा। अब यह हुआ ताकि शास्त्र का वचन पूरा हो।” 50 फिर उसके सभी शिष्य उसे अकेला छोड़ भाग खड़े हुए।

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मसीह येशु का बन्दी बनाया जाना

(मत्ति 26:47-56; लूकॉ 22:47-53; योहन 18:1-11)

43 जब मसीह येशु यह कह ही रहे थे, उसी क्षण यहूदाह, जो बारह शिष्यों में से एक था, आ पहुँचा. उसके साथ तलवार और लाठियाँ लिए हुए एक भीड़ भी थी. ये सब प्रधान पुरोहितों, शास्त्रियों तथा पुरनियों द्वारा भेजे गए थे.

44 पकड़वानेवाले ने उन्हें यह संकेत दिया था: “मैं जिसे चूमूँ, वही होगा वह. उसे पकड़ कर सिपाहियों की सुरक्षा में ले जाना.” 45 वहाँ पहुँचते ही यहूदाह सीधे मसीह येशु के पास गया और उनसे कहा, “रब्बी” और उन्हें चूम लिया. 46 इस पर उन्होंने मसीह येशु को पकड़ कर बान्ध लिया. 47 उनमें से, जो मसीह के साथ थे, एक ने तलवार खींची और महायाजक के दास पर प्रहार कर दिया जिससे उसका एक कान कट गया.

48 मसीह येशु ने भीड़ को सम्बोधित करते हुए कहा, “मुझे पकड़ने के लिए तुम तलवार और लाठियाँ ले कर आए हो मानो मैं कोई डाकू हूँ! 49 मन्दिर में शिक्षा देते हुए मैं प्रतिदिन तुम्हारे साथ ही होता था, तब तो तुमने मुझे नहीं पकड़ा किन्तु अब जो कुछ घटित हो रहा है वह इसीलिए कि पवित्रशास्त्र का लेख पूरा हो.” 50 सभी शिष्य मसीह येशु को छोड़ भाग चुके थे.

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