Add parallel Print Page Options

14 “जब तुम ‘भयानक विनाशकारी वस्तुओं को,’ जहाँ वे नहीं होनी चाहियें, वहाँ खड़े देखो” (पढ़ने वाला स्वयं समझ ले कि इसका अर्थ क्या है।) “तब जो लोग यहूदिया में हों, उन्हें पहाड़ों पर भाग जाना चाहिये और 15 जो लोग अपने घर की छत पर हों, वे घर में भीतर जा कर कुछ भी लाने के लिये नीचे न उतरें। 16 और जो बाहर मैदान में हों, वह पीछे मुड़ कर अपना वस्त्र तक न लें।

17 “उन स्त्रियों के लिये जो गर्भवती होंगी या जिनके दूध पीते बच्चे होंगे, वे दिन बहुत भयानक होंगे। 18 प्रार्थना करो कि यह सब कुछ सर्दियों में न हो। 19 उन दिनों ऐसी विपत्ति आयेगी जैसी जब से परमेश्वर ने इस सृष्टि को रचा है, आज तक न कभी आयी है और न कभी आयेगी।

Read full chapter

14 “उस समय, जब वह उजाड़नेवाली घृणित वस्तु, जो निर्जनता उत्पन्न करती जाती है, तुम्हें ऐसे स्थान में खड़ी दिखे, जो उसका निर्धारित स्थान नहीं है—पाठक इसे समझ ले—तब यहूदिया प्रदेशवासी पर्वतों पर भाग कर जाएँ. 15 उस समय वे, जो घर की छत पर हैं, घर में से कोई भी वस्तु लेने के उद्देश्य से न तो नीचे उतरें और न ही घर में प्रवेश करें. 16 वह, जो अपने खेत में काम कर रहे हों, अपना बाहरी वस्त्र लेने लौट कर न आए. 17 दयनीय होगी गर्भवती और शिशुओं को दूध पिलाती स्त्रियों की स्थिति! 18 प्रार्थना करते रहो, ऐसा न हो कि तुम्हें जाड़े में भागना पड़े 19 क्योंकि वह महाक्लेश काल होगा—ऐसा कि जो न तो सृष्टि के प्रारम्भ से आज तक देखा गया, न ही इसके बाद दोबारा देखा जाएगा.

Read full chapter