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12 “किन्तु इन बातों के घटने से पहले वे तुम्हें बंदी बना लेंगे और तुम्हें यातनाएँ देंगे। वे तुम पर अभियोग चलाने के लिये तुम्हें यहूदी आराधनालयों को सौंप देंगे और फिर तुम्हें बन्दीगृहों में भेज दिया जायेगा। और फिर मेरे नाम के कारण वे तुम्हें राजाओं और राज्यपालों के सामने ले जायेंगे। 13 इससे तुम्हें मेरे विषय में साक्षी देने का अवसर मिलेगा। 14 इसलिये पहले से ही इसकी चिंता न करने का निश्चय कर लो कि अपना बचाव तुम कैसे करोगे। 15 क्योंकि मैं तुम्हें ऐसी बुद्धि और ऐसे शब्द दूँगा कि तुम्हारा कोई भी विरोधी तुम्हारा सामना और तुम्हारा खण्डन नहीं कर सकेगा। 16 किन्तु तुम्हारे माता-पिता, भाई बन्धु, सम्बन्धी और मित्र ही तुम्हें धोखे से पकड़वायेंगे और तुममें से कुछ को तो मरवा ही डालेंगे। 17 मेरे कारण सब तुमसे बैर करेंगे।

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12 “इन सबके पहले वे तुम्हें पकड़ लेंगे और तुम्हें यातनाएँ देंगे. मेरे नाम के कारण वे तुम्हें सभागृहों में ले जाएँगे, बन्दीगृह में डाल देंगे तथा तुम्हें राजाओं और राज्यपालों के हाथों में सौंप देंगे. 13 इसके परिणामस्वरूप तुम्हें गवाही देने का सुअवसर प्राप्त हो जाएगा. 14 इसलिए यह सुनिश्चित करो कि तुम पहले ही अपने बचाव की तैयारी नहीं करोगे, 15 क्योंकि तुम्हें अपने बचाव में कहने के विचार तथा बुद्धि मैं दूँगा, जिसका तुम्हारे विरोधी न तो सामना कर सकेंगे और न ही खण्डन. 16 तुम्हारे माता-पिता, भाई-बहन तथा परिजन और मित्र ही तुम्हारे साथ धोखा करेंगे—वे तुम में से कुछ की तो हत्या भी कर देंगे. 17 मेरे नाम के कारण सभी तुमसे घृणा करेंगे.

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