2 थिस्सलुनीकियों 1
Hindi Bible: Easy-to-Read Version
1 पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस की ओर से हमारे परम पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह में स्थित थिस्सलुनीकियों की कलीसिया के नाम:
2 तुम्हें परम पिता परमेश्वर और यीशु मसीह की ओर से अनुग्रह तथा शांति प्राप्त हो।
3 हे भाईयों, तुम्हारे लिए हमें सदा परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहिए, ऐसा करना उचित भी है। क्योंकि तुम्हारे विश्वास का आश्चर्यजनक रूप से विकास हो रहा है तथा तुममें आपसी प्रेम भी बढ़ रहा है। 4 इसलिए परमेश्वर की कलीसियाओं में हम स्वयं तुम पर गर्व करते हैं। तुम्हारी यातनाओं के बीच तथा कष्टों को सहते हुए धैर्यपूर्वक सहन करना तुम्हारे विश्वास को प्रकट करता है।
पौलुस का धन्यवाद तथा परमेश्वर के न्याय की चर्चा
5 यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि परमेश्वर का न्याय सच्चा है। उसका उद्देश्य यही है कि तुम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने योग्य ठहरो। तुम अब उसी के लिए तो कष्ट उठा रहे हो। 6 निश्चय ही परमेश्वर की दृष्टि में यह न्यायोचित है कि तुम्हें जो दुख दे रहे हैं, उन्हें बदले में दुख ही दिया जाए। 7 और तुम जो कष्ट उठा रहे हो, उन्हें हमारे साथ उस समय विश्राम दिया जाए जब प्रभु यीशु अपने सामर्थ्यवान दूतों के साथ स्वर्ग से 8 धधकती आग में प्रकट हो। और जो परमेश्वर को नहीं जानते तथा हमारे प्रभु यीशु मसीह के सुसमाचार पर नहीं चलते, उन्हें दण्ड दिया जाएगा। 9 उन्हें अनन्त विनाश का दण्ड दिया जाएगा। तथा उन्हें प्रभु और उसकी महिमापूर्ण शक्ति के सामने से हटा दिया जाएगा। 10 ऐसा तब होगा जब वह अपने पवित्र जनों के बीच महिमा मण्डित तथा सभी विश्वासियों के लिए आश्चर्य का हेतु बनने के लिए आएगा उसमें तुम लोग भी शामिल होगे क्योंकि हमने उसके विषय में जो साक्षी दी थी, उस पर तुमने विश्वास किया था।
11 इसलिए हम तुम्हारे हेतु परमेश्वर से सदा प्रार्थना करते हैं कि हमारा परमेश्वर तुम्हें उस जीवन के योग्य समझे जिसे जीने के लिए तुम्हें बुलाया गया है। और वह तुम्हारी हर उत्तम इच्छा को प्रबल रूप से परिपूर्ण करे और हर उस काम को वह सफल बनाए जो तुम्हारे विश्वास का परिणाम है। 12 इस प्रकार हमारे प्रभु यीशु मसीह का नाम तुम्हारे द्वारा आदर पाएगा। और तुम उसके द्वारा आदर पाओगे। यह सब कुछ हमारे परमेश्वर के और यीशु मसीह के अनुग्रह से होगा।
2 थेस्सलोनिकेयुस 1
Saral Hindi Bible
सम्बोधन
1 थेस्सलोनिकेयुस नगर की कलीसिया को,
जो पिता परमेश्वर तथा प्रभु मसीह येशु में है, पौलॉस, सिलवानॉस तथा तिमोथियॉस की ओर से:
2 तुम में पिता परमेश्वर तथा प्रभु मसीह येशु का अनुग्रह तथा शान्ति बनी रहे.
सताहट में पौलॉस द्वारा उत्साह बढ़ाना
3 प्रियजन, तुम्हारे बढ़ते हुए विश्वास तथा हर एक में आपसी प्रेम के दिन-प्रतिदिन बढ़ते जाने के लिए परमेश्वर को हमारा लगातार धन्यवाद सही ही है, 4 इसलिए परमेश्वर की कलीसियाओं में हम तुम्हारे द्वारा सहे जा रहे सताहटों और यातनाओं की स्थिति में भी तुम्हारे द्वारा की जा रही लगातार कोशिशों तथा विश्वास का वर्णन अत्यन्त गर्व के साथ करते हैं. 5 यह सब परमेश्वर के सच्चे न्याय के निर्णय का एक स्पष्ट प्रमाण है, जिसके परिणामस्वरूप तुम परमेश्वर के राज्य के योग्य समझे जाओगे—वस्तुत: तुम यातनाएँ इसी के लिए सह रहे हो.
अन्तिम न्याय
6 इसलिए परमेश्वर के लिए यही सही है कि वह उन्हें भी क्लेश ही दें, जिन्होंने तुम्हें क्लेश दिया है 7 तथा मसीह येशु के स्वर्ग से ज्वालामय आग में अपने सामर्थी स्वर्गदूतों के साथ प्रकट होने के अवसर पर तुम्हारी और हमारी भी, जो दूर हैं, पीड़ा मिटे. 8 उस अवसर पर वह उन सबसे बदला लेंगे, जो परमेश्वर को जानते नहीं है तथा उनसे भी, जो हमारे प्रभु मसीह येशु के ईश्वरीय सुसमाचार को नहीं मानते हैं. 9 अनन्त विनाश उनका दण्ड होगा. इसमें वे प्रभु की उपस्थिति तथा उनके सामर्थ्य के पराक्रम से दूर कर दिए जाएँगे. 10 उस समय वह अपने पवित्र लोगों के बीच महिमित होंगे तथा वे सभी, जिन्होंने उनमें विश्वास किया है, उन्हें चकित हो निहारेंगे. तुम भी उनमें शामिल हो क्योंकि तुमने हमारे सन्देश में विश्वास किया है.
11 इस बात के प्रकाश में हम तुम्हारे लिए हमेशा प्रार्थना करते हैं कि तुम हमारे परमेश्वर के मत में अपनी बुलाहट के अनुरूप पाए जाओ तथा तुम उत्तम उद्धेश्य की हर एक अभिलाषा तथा विश्वास के हर एक काम को सामर्थ से पूरा करते जाओ, 12 कि हमारे परमेश्वर तथा प्रभु मसीह येशु की कृपा के अनुसार तुम में हमारे प्रभु मसीह येशु की तथा उनमें तुम्हारी महिमा हो.
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