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सासक अउ त्यौहार

46 मोर सुआमी यहोवा इ कहत ह, “भीतरी आँगन क पूर्वी फाटक काम क छ: दिनन मँ बन्द रही। किन्तु इहइ सबित क दिन अउर नवचन्द्र क दिन खुली। सासक फाटक क प्रवेस कच्छ स अन्दर आइ अउर उ फाटक क खम्भा क सहारे खड़ा होइ। तब याजक क होमबलि अउ मेलबलि चढ़ाई। सासक फाटक क डेवढ़ी पइ उपासना करी। तब उ बाहेर जाई। किन्तु फाटक साँझ होइ तलक बन्द नाहीं होइ। उ देस क लोग भी यहोवा क सम्मुख जहाँ फाटक सबित क दिन अउर नवचन्द्र क दिन खुलत ह, उहइँ उपासना करी।

“सासक सबित क दिन यहोवा क होमबलि चढ़ाई। ओका दोख रहित छ: मेमनन अउर दोख रहित एक भेड़ा देइ चाही। ओका एक एपा अन्नबलि भेड़ा क साथ देइ चाही। सासक ओतनी अन्नबलि मेमनन क साथ देइ, जेतनी उ दइ सकत ह। ओका एक हिन जैतून क तेल हर एक एपा अन्न क साथ देइ चाही।

“नवचन्द्र क दिन ओका एक बैल भेंट करइ चाही, जेहमाँ कउनो दोख न होइ। उ छ: मेमनन अउ एक भेड़ा, जेहमाँ कउनो दोख न होइ, भी भेंट करी। सासक क, बैल क संग एक एपा अन्नबलि अउर एक एपा अन्नबलि भेड़ा क साथ देइ चाही। सासक क हरेक मेमना क संग जेतना होइ सकइ देइ चाही तथा हर एक एपा अन्न बरे एक हिन तेल ओका जरूर चढ़ावइ चाही।

“सासक पूर्बी फाटक ओसारा स होइके अन्दर जाइ चाही अउर उहइ रास्ता स होइके वापिस बाहर जाइ चाही।

“जब देस क लोग बिसेस त्यौहार पइ यहोवा मिलइ बरे आइहीं तउ जउन कउनो भी उत्तर फाटक स उपासना करइ बरे अन्दर आवत हीं तउ ओका दक्खिन फाटक स होइके बाहेर जाइ चाही। अउर जउन कउनो दक्खिन फाटक स उपासना करइ बरे आवत हीं तउ ओका उत्तर फाटक स होइके बाहेर जाइ चाही। कउनो भी उहइ मार्ग स नाहीं लउटि जेहसे उ प्रवेस किहे रहेन। हरेक मनई क सोझे आगे बढ़इ चाही। 10 जब लोग अन्दर जइहीं तउ सासक अन्दर जाइ। जब उ पचे बाहेर अइहीं तब सासक बाहेर जाइ।

11 “दावतन अउ बिसेस बइठकन क अवसर पइ एका एपा अन्नबलि हर बैल क संग चढ़ाई जाइ चाही। एक एपा अन्नबलि हर भेड़ा क संग चढ़ाई जाइ चाही अउ हर एक मेमना क संग ओका जेतना जियादा उ दइ सकइ देइ चाही। ओका एक हिन तेल हर अन्न क एक एपा क बरे देइ चाही।

12 “जब सासक यहोवा क स्वेच्छा भेंट करत ह, इ होमबलि, मेलबलि या स्वेच्छा भेंट होइ सकत ह, चढ़ाई तउ उसके बरे पूर्व क फाटक खुली। तब उ आपन होमबलि अउर आपन मेलबलि क सबित क दिन क तरह चढ़ाई। जब उ जाई ओकरे पाछे फाटक बन्द होई।

नित्य भेंट

13 “तू दोख रहित एक बरिस का एक मेमना देब्या। इ प्रतिदिन यहोवा क होम बलि बरे होइ। प्रत्येक भिन्सारे तू एका देब्या। 14 तू हर एक भिन्सारे मेमना क संग अन्नबलि भी चढ़उब्या। तू एक क छठा भाग एपा आटा अउ एक क तीसरा भाग हिन तेल नीक आटा क चिकना करइ बरे, देब्या। इ यहोवा क हमेसा अन्नबलि होइ। 15 इ तरह उ पचे सदा ही मेमना, अन्नबलि अउ तेल, होमबलि बरे हर भिन्सारे देत रहिहीं।”

आपन सन्तान क सासक क जरिये भुइँया देइ क नेम

16 मोर सुआमी यहोवा इ कहत ह, “जदि सासक आपन भुइँया क कउनो हींसा क आपन पूतन क मीरास क रूप मँ देत ह तउ उ ओकर पूतन क होइ। इ ओनकर सम्पत्ति अहइ। 17 किन्तु जदि कउनो सासक आपन भुइँया क कउनो भाग क आपन गुलाम क मीरास क रूप मँ देत ह तउ उ मीरास ओकरे पास जुबली क बरिस तलक होइ। तब ओकरे पाछे मीरास सासक क वापस होइ जाइ। सिरिफ राजा क पूत ही ओकरी भुइँया क मीरास क अपने लगे रख सकत ही। 18 अउर सासक लोगन क भुइँया क कउनो भी हींसा नाहीं लेइ अउर न ही ओनका आपन भुइँया छोड़इ क मजबूर करी। ओका आपन भुइँया क कछू हींसा आपन पूतन क देइ चाही। इ तरह स हमार लोग आपन भुइँया स बंचित होइ बरे मजबूर नाहीं कीन्ह जइहीं।”

विसेस रसोई घर

19 उ मनई मोका दुआर स फाटक क बगल मँ लइ गवा। उ मोका याजकन क उत्तर मँ पवित्तर कमरन कइँती लइ गवा। मइँ हुवाँ बहोत दूर पच्छिम मँ एक ठउर लखेस। 20 उ मनई मोहसे कहेस, “इहइ उ ठउर अहइ जहाँ याजक दोखबलि अउ पाप बलि क पकइहीं। हिअँइ पइ याजक अन्नबलि क पकइहीं। काहे जेहसे ओनका ओन भेंटन क बाहरी आँगन मइ लइ जाइ क जरूरत न रहइ। इ तरह उ पचे ओन पवित्तर चिजियन क बाहेर नाहीं लइहीं जहाँ साधारण लोग होइहीं।”

21 तब उ मनई मोका बाहरी आँगन मँ लिआवा। उ मोका आँगन क चारिहुँ कोनन मँ लइ गवा। आँगन क हर एक कोने मँ एक नान्ह आँगन रहा। 22 आँगन क कोनन मँ नान्ह आँगन रहेन। हर एक नान्ह आँगन चालीस हाथ लम्बा अउर तीस हाथ चउड़ा रहा। चारिहुँ कोनन क नाप समान रही। 23 भीतर एन नान्ह आँगनन क चारिहुँ कइँती ईंटन क एक देवार रही। हर एक देवार मँ भोजन पकावइ क ठउर बरे रहेन। 24 उ मनई मोहसे कहेस, “इ सबइ रसोइयाँ अहइँ जहाँ उ पचे लोग जउन मन्दिर क सेवा करत ही, लोगन बरे बलि पकइहीं।”