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निर्देसक बरे दाऊद क एक ठू भजन।

हे परमेस्सर सिय्योन पर्वत पइ, हम पचे तोहका इ सान्ति पराथना भेंट किहउँ ह
    अउर आपन प्रतिग्या क पूरा किहेउँ ह।
मइँ तोहरे ओन कामन क बखान करत हउँ, जउन तू किहा ह।
    उ तू ही बाटइ जउन पराथनन क उत्तर दिह्या।
    एह बरे हर कउनो मनई तोहार लगे मँ आवत हीं।
जब हमार पाप हम पइ भारी पड़त हीं, हमसे सहा नाहीं जाइ पावत,
    तउ तू हमार ओन पापन्क हरिके लइ जात ह।
हे परमेस्सर, जेका तू चुन्या ह
    अउर आपन आँगनन मँ बसइ बरे लिआवा ह उ पचे बहोत असीसित होइहीं।
उ पचे तोहार घर,
    तोहार पवित्तर मन्दिर क बहोत बढ़ियाँ चिजियन स भरि देइहीं।
परमेस्सर मोर उद्धारकर्त्ता,
    तू जउने तरह स लोगन क सम्मान दिहा ह इ बहोत नीक बाटइ।
तू अचरज भरा काम करा,
    एह बरे दूर रास्ट्रन क लोगन अउर दूर क समुद्दरन तोहार लगे सुरच्छा बरे आइहीं।
परमेस्सर आपन महासक्ती क प्रयोग किहस अउ पर्वत रच डाएस।
    ओकर सक्ति हम आपन चारिहुँ कइँती लखत अही।
परमेस्सर उफनत भवा सागर सांत किहस।
    परमेस्सर जगत क सबहिं अनगिनत लोगन क बनाएस।
जउन अद्भुत बातन क परमेस्सर करत अहइ, ओनसे धरती क हर मनई डेरात अहइ।
    परमेस्सर तू ही हर कहूँ सूरज क उगावत अउ डुबावत ह।
    हर जगह लोग तोहार गुणगान करत हीं।
भुइँया क सारी रखवारी तू करत ह।
    तू ही ऍका सींचत अउ तू ही ऍहसे बहोत सारी वस्तुअन क उपजावत अहा।
हे परमेस्सर, नदियन क पानी स तू ही भरत अहा।
    तू ही फसलन क बढ़त करत अहा।
10 तू जोता भए खेतन पइ बर्खा करत अहा।
    तू खेतन क जल स लबालब कइ देत ह,
अउर धरती क बर्खा स नरम बनावत ह,
    अउर तू फिन पौधन क बढ़त करत ह।
11 तू नवा बरिस क सुरूआत उत्तिम फसलन स करत ह।
    तू भरपूर फसलन स गाड़ियन भर देत अहा।
12 बन अउ पर्वत दूब घासे स ढँकि जात हीं।
13 भेड़िन स चरागाहन भर गइन।
    फसलन स घाटियन भरपूर होत अहइँ।
    हर कउनो गावत अउ आनन्द मँ ऊँचा पुकारत अहइ।