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दाऊद क समर्पित।

दुर्जन लोगन स जिन घबरा,
    जउन बुरा करत हीं अइसे मनइयन स ईर्स्या जिन राखा।
दुर्जन मनई घास अउ हरियर पौधन क नाई हाली पिअराइ जात हीं
    अउर मरि जात हीं।
अगर तू यहोवा पइ भरोसा रखब्या अउर भला काम करब्या तउ तू जिअत रहब्या
    अउ ओन चिजियन क भोग करब्या जउन धरती देत ह।
यहोवा क सेवा मँ आनन्द लेत रहा,
    अउर यहोवा तोहका तोहार मन चाहा देइ।
यहोवा क भरोसे रहा।
    ओकर बिस्सास करा।
    उ वइसा करी जइसा करइ चाही।
दुपहरिया क सूरज जइसा,
    यहोवा तोहार नेकी अउ खरेपन क चमकावइ।
यहोवा पइ भरोसा धरा अउ ओकरे सहारे क बाट जोहा।
    तू दुट्ठन क कामयाबी लखिके घबरावा जिन करा।
    तू दुट्ठन क दुट्ठ जोजनन क कामयाब होत लखिके जिन घबरा।
तू किरोध जिन करा, तू उन्मादी जिन बना।
    ओतना जिन घबराइ जा कि तू बुरा काम करइ चाहा।
काहेकि बुरे मनइयन क तउ नास कीन्ह जाइ।
    मुला उ सबइ लोग जउन यहोवा पइ भरोसा रखत हीं, उ धरती क पइहीं जेका देइ क परमेस्सर वचन दिहेस ह।
10 तनिक समइ क पाछे कउनो दुर्जन नाहीं बच पाई।
    हेरइ स भी तोहका कउनो दुट्ठ नाहीं मिली।
11 नम्र लोग उ धरती पइहीं जेका परमेस्सर देइ क वचन दिहेस ह।
    उ सबइ सान्ति क आनन्द लेइहीं।

12 दुट्ठ लोग सज्जनन बरे कुचाल चलत हीं।
    दुट्ठ जन सज्जनन क ऊपर दाँत पीसिके देखाँवत हीं कि उ पचे कोहान अहइँ।
13 मुला हमार सुआमी ओन दुर्जनन पइ हँसत ह।
    उ ओन बातन क लखत ह जउन ओन पइ पड़इ क अहइ।
14 दुर्जन तउ आपन तरवार उठावत हीं अउर धनुस साधत हीं।
    उ पचे दीन लोगन, बेसहारा लोगन क मारइ चाहत हीं।
    उ सबइ सच्चे लोगन, सज्जन लोगन क मारइ चाहत हीं।
15 मुला ओनकर धनुस चूर चूर होइ जइहीं।
    अउर ओनकर तरवारन ओनकर आपन ही हिरदय मँ उतरिहीं।
16 थोड़ा स भला मनई,
    दुर्जनन क भीड़ स भी उत्तिम अहइँ।
17 काहेकि दुर्जनन क तउ नस्ट कीन्ह जाइ।
    मुला भले मनइयन क यहोवा धियान रखत ह।
18 सुद्ध सज्जन लोगन क यहोवा ओनकइ जिन्नगी भइ बचावत ह।
    ओनकर प्रतिफल सदा बना रही।
19 जबहिं संकट होइ,
    सज्जन बरबाद नाहीं होइहीं।
जब अकाल पड़ी,
    सज्जन लोगन क लगे खइया क भरपूर होइ।
20 मुला बुरा मनई यहोवा क दुस्मन होत रहत हीं।
    तउ ओन बुरे लोगन क नस्ट कइ दीन्ह जाइ,
ओनकर सबइ घाटी झुराइ जइहीं अउर बर जइहीं।
    ओनका तउ पूरी तरह स मेट दीन्ह जाई।
21 दुट्ठ तउ फउरन ही धन उधार माँग लेत ह, अउर ओका फुन कबहुँ नाहीं चुकावत।
    मुला एक सज्जन अउरन क खुसी स देत रहत ह।
22 अगर कउनो सज्जन कउनो क आसीर्बाद देइ, तउ उ सबइ मनई उ धरती क जेका परमेस्सर देइ क वचन दिहस ह, पइहीं।
    मुला अगर उ सराप देइ मनइयन क तउ उ सबइ नास होइ जइहीं।
23 यहोवा, सिपाही क होसियारी स चलइ मँ मदद करत ह।
    अउर उ ओका पतन स बचाइ लेत ह।
24 फउजी अगर धावत भए दुस्मन पइ प्रहार करइँ, तउ ओकरे हाथे क यहोवा सहारा देत ह,
    अउर ओका गिरइ स बचावत ह।
25 मइँ जुवक भवा रहेउँ पर अबहुँ मइँ बुढ़ाइ ग हउँ।
    मइँ कबहुँ यहोवा क सज्जन लोगन क बेसहारा तजत भए नाहीं लखेउँ।
    मइँ कबहुँ सज्जन लोगन क संतानन क भीख माँगत नाहीं लखेउँ।
26 सज्जन सदा मुक्त भाव स दान देत ह।
    सज्जन लोगन क गदेलन वरदान होत हीं।
27 अगर तू कुकरमन स आपन मुँह मोड़ ल्या, अउर अगर तू नीक करमन क करत रहा,
    तउ फिन तू सदा ही जिअत रहब्या।
28 यहोवा खरेपन स पिरेम करत ह,
    उ आपन निज मनवइयन क बेसहारा नाहीं तजत।
यहोवा आपन निज मनवइयन क हमेसा रच्छा करत ह,
    अउर उ दुट्ठ जन क नस्ट कइ देत ह।
29 सज्जन उ धरती क पइहीं जेका देइ क परमेस्सर वचन दिहस ह,
    उ पचे ओहमाँ सदा सदा ही रहा करिहीं।
30 भला मनई तउ खरी सलाह देत ह।
    ओकर निआउ सब क बरे निस्पच्छ होत ह।
31 सज्जन क हिरदय मँ यहोवा क उपदेस रहत हीं।
    उ सोझ मारग पइ चलब नाहीं तजत।

32 मुला दुर्जन सज्जन क दुःख पहोंचावइ क रस्ता हेरत रहत ह, अउर दुर्जन सज्जन क मारइ क जतन करत हीं।
33 मुला यहोवा दुर्जनन क मुक्त नाहीं तजी।
    उ सज्जन क अपराधी नाहीं ठहरइ देइ।
34 यहोवा क मदद क बाट जोहत रहा।
    यहोवा क पाछे पाछे चलत रहा, दुर्जन नस्ट होइहीं।
    यहोवा तोहका महत्वपूर्ण बनाई।
    तू उ धरती पउब्या जेका देइ क यहोवा वचन दिहस ह।

35 मइँ दुट्ठ क बरिआर लखेउँ ह।
    मइँ ओका मजबूत अउ तन्दुरुस्त बृच्छ क नाई सक्तीसाली लखेउँ।
36 मुला उ सबइ फुन मिट गएन।
    मोरे हेरे पइ ओनकर पता तलक नाहीं मिला।
37 सच्चा अउ खरा बना,
    काहेकि इहइ स सान्ति मिलत ह।
38 मुला जउन लोग व्यवस्था नेम तोड़त हीं
    नस्ट कइ दीन्ह जइहीं।
39 यहोवा नेक मनइयन क रच्छा करत ह।
    उ आपन किला मँ रहा जब विपत्तियन आइन।
40 यहोवा नेक लोगन क सहारा देत ह, अउर ओनकर रच्छा करत ह।
    सज्जन यहोवा क सरण मँ आवत हीं अउर यहोवा ओनका दुर्जनन स बचाइ लेत ह।