Add parallel Print Page Options

पराई मेहरारू स बचा रहा

हे मोर पूत तू मोरी बुद्धि क बातन पइ धियान द्या। मोर बुद्धिमानी क सिच्छा क धियान स सुना। ताकि तोहार भला-बुरा क चेतना सुरच्छित रहइ अउर तोहरे ओंठन गियान कि सुरच्छा करइ। काहेकि कउनो पराई मनइ क पत्नी आपन ओंठन क मधुर बातन स तोहका लुभा सकत ह, ओकर ओंठन क वाणी तेल स भी जियादा चिकनी होत ह। अंत मँ उ तोहरे बरे भयंकर दुःख दर्द लाहीं उ दुधारी तरवार क नाई अहइ। ओकर गोड़ मउत क गड्ढा कइँती बढ़त हीं अउर उ तोहका सिधे कब्र तलक लइ जात हीं। उ कबहुँ भी जिन्नगी क मारग क नाहीं सोचत। ओकर राहन खोटी अहइँ। किंतु हाय्य, ओका मालूम नाहीं। बिभिचार बिनासे क मूल बाटइ

अब हे मोरे पूतन, तू मोर बात सुना। जउन कछू भी मइँ कहत हउँ ओहसे जिन मोड़ा। तू अइसी राह पइ चला जउन ओहसे काफी दूर होइ। ओकर घरे तलक जिन जा। नाहीं तउ दूसर कउनो तोहरे ताकत क उपयोग करिहीं, अउर तोहार जिन्नगी क बरिस कउनो अइसे मनइ लइ ले हीं जउन कि करुर होइ। 10 अइसा न होइ, तोहरे धने पइ अजनबी मउज करइँ। तोहार मेहनत अउरन क घर भरइ। 11 तोहार जिन्नगी क अंतिम दिना मँ जब तू बिमार होब्या अउर तोहार लगे कछू भी न होइ, तउ तोहका रोवत बिलबिलात भवा छोड़ दीन्हा जाहीं। 12 अउर तू कहब्या, “हाय! मइँ अनुसासन स काहे घिना किहा? मइँ सुधार क काहे उपेच्छा किहा? 13 मइँ आपन सिच्छकन क बात नाहीं मानेउँ या मइँ आपन प्रसिच्छकन पइ धियान नाहीं दिहेउँ। 14 मइँ महानासे क किनारे पइ आइ गवा हउँ अउर हर एक इ जानत ह।” आपन पत्नी के संग आनन्द मनावा

15 तू आपन हौज स ही पानी पिया करा अउ तू आपन झरना स ही सुद्ध पानी पिया करा। 16 तू आपन पानी क गलियन मँ इधर-उधर फइलइ जिन दया। एका गलियन मँ नदी क नाई बह्य जिन द्या। 17 इ तउ बस तोहार ही होइ, एकमात्र तोहार ही। ओनमाँ कबहुँ कउनो अजनबी क हींसा न होइ, 18 आपन पत्नी क संग धन्न रहा। ओकरे संग ही तू जीवन रस क पान करा जेक तू आपन जवानी क समइ सादी कीन्ह रहा। 19 ओकर छातियन हरिणी अउर खुबसुरत पहाड़ी बोकरी क नाई तोहका हमेसा सन्तुस्त करइ, ओकर पिरेम जाल तोहका हमेसा फाँस लइ 20 हे मोर पूत, कउनो बिभिचारिणी क तोहका विनासे क ओर काहे लइ जावइ चाही? तोहका कउनो अजनबी मेहरारु क काहे गले लगावइ चाही?

21 यहोवा तोहार राहन पूरी तरह लखत अहइ अउ उ तोहार सबहिं राहन परखत बाटइ। 22 दुट्ठ क बुरे करम ओका बाँध लेत हीं। ओकर ही पाप जाल ओका फाँसि लेत ह। 23 उ अनुसासन क कमी क कारण मरि जात ह। ओकर महान मूरखता ओका विनास क ओर लइ जावत ह।