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तब सुलैमान कहेस, “यहोवा कहेस कि उ करिया घने बदरे मँ रही। हे यहोवा, मइँ इ भव्य मन्दिर तोहरे बरे एहमाँ सदा-सर्वदा रहइ बरे बनाएउँ ह।”

सुलैमान क भासण

राजा सुलैमान मुड़ा अउर उ अपने समन्वा खड़े सबहिं इस्राएल क लोगन क आसीर्बाद दिहस। सुलैमान कहेस,

“इस्राएल क परमेस्सर, यहोवा क बड़कई करा। यहोवा उ कइ दिहेस ह जउन करइ क बचन उ तब दिहे रहा जब उ मोरे बाप दाऊद स बातन किहे रहा। परमेस्सर यहोवा इ कहे रहा: ‘उहइ दिना स जब मइँ अपने लोगन क मिस्र स बाहेर लिआएउँ तब स अब तलक मइँ इस्राएल क कउनो परिवार समूह स कउनो नगर नाहीं चुनेउँ ह, जहाँ मोरे नाउँ क एक ठु भवन बनइ। मइँ अपने निज लोगन इस्राएलियन पइ हुकूमत करइ बरे भी कउनो मनई क नाहीं चुनेउँ ह। किन्तु अब मइँ यरूसलेम क अपने नाम बरे चुनेउँ ह अउर मइँ दाऊद क अपने इस्राएली लोगन क अगुवाई करइ बरे चुनेउँ ह।’

“मोरे बाप दाऊद क इ इच्छा रही कि उ इस्राएली रास्ट्र क यहोवा परमेस्सर क नाउँ क महिमा बरे एक ठु मन्दिर बनवावइँ। इसलिए यहोवा मोरे बाप स कहेस, ‘दाऊद, जब तू मोरे नाउँ बरे मन्दिर बनावइ क इच्छा किहा तब तू ठीक काम किहा ह। मुला तू मन्दिर बनाइ नाहीं सकत्या। मुला तोहार आपन पूत मोरे नाउँ बरे मन्दिर बनवाइ।’ 10 अब, यहोवा उ कइ दिहेस ह जउन उ करइ क कहे रहा। मइँ अपने बाप क जगह पइ नवा राजा हउँ। दाऊद मोर बाप रहेन। अब मइँ इस्राएल क राजा अहउँ। यहोवा इहइ करइ क बचन दिहे रहा। मइँ इस्राएल क यहोवा परमेस्सर क नाउँ पइ मन्दिर बनवाएउँ ह। 11 मइँ करार क सन्दूख क मन्दिर मँ धरेउँ ह। करार क सन्दूख हुवाँ अहइ जहाँ यहोवा क संग कीन्ह गइ वाचा रखी जात ह। यहोवा इ वाचा इस्राएल क लोगन क संग किहेस।”

सुलैमान क पराथना

12 सुलैमान यहोवा क वेदी क समन्वा खड़ा भवा। उ ओन इस्राएल क लोगन क समन्वा खड़ा भवा जउन हुवाँ बटुरे भए रहेन। तब सुलैमान अपने हाथन अउर अपनी भुजन क फइलाएस। 13 सुलैमान एक ठु काँसे क मंच पाँच हाथ लम्बा, पाँच हाथ चउड़ा अउर तीन हाथ ऊँच बनाए रहा अउर एका बाहरी आँगन क बीच मँ रखे रहा। तब उ मंच पइ खड़ा भवा अउर इस्राएल क जउन लोग हुवाँ बटुरे भए रहेन ओनकर उपस्थिति मँ घुटने टेकेस। सुलैमान अकासे कइँती हाथ फइलाएस। 14 सुलैमान कहेस:

“हे इस्राएल क परमेस्सर, यहोवा, तोहार समान कउनो भी परमेस्सर न तउ सरग मँ बाटइ, न ही धरती पइ अहइ। तू आपन पिरेम अउ दाया क प्रतिग्या बनाए रख जेका तू आपन सेवकन क संग जउन नीक रास्ते पइ चलत हीं अउर पूरे हिरदइ स तोहरी आग्या क पालन करत हीं किहस ह। 15 तू अपने सेवक दाऊद क दिए गए बचन क पूरा किहे रह्या, अउर आजु तू अपने हाथन स इ बचन क पूरा किहा ह। 16 अब, हे यहोवा, इस्राएल क परमेस्सर! तू अपने सेवक दाऊद क दिए बचन क बनाए राखा। तू इ बचन दिहे रह्या: तू कहे रह्या, ‘दाऊद, तू अपने परिवार स, मोरे समन्वा इस्राएल क सिंहासने पइ बइठइ बरे, एक मनई क पावइ म कबहुँ असफल नहीं होब्या। इहइ होइ जदि तोहार पूत ओन सबहिं बातन मँ सावधान रहिहीं जेनका उ पचे करिहीं। ओनका मोरे नेमन क पालन वइसे ही करइ चाही जइसा तू मोरे नेमन क पालन किहा ह।’ 17 अब, हे यहोवा, इस्राएल क परमेस्सर अपने बचन क पूर होइ द्या। तू इ बचन अपने सेवक दाऊद क दिहा ह।

18 “हे परमेस्सर, हम जानित ह कि तू यथार्थ मँ, लोगन क संग धरती पइ नाहीं रहब्या। सरग, सब स ऊँच सरग भी तोहका अपने भीतर रखइ क छमता नाहीं राखत अउर हम जानित ह कि इ मन्दिर जेका मइँ बनाएउँ ह तोहका अपने भीतर नाहीं रखि सकत। 19 किन्तु हे यहोवा, परमेस्सर तू हमार पराथना अउर कृपा याचना पइ धियान द्या। हे यहोवा, मोर परमेस्सर! तोहरे बरे कीन्ह गइ मोर पुकार तू सुना। मइँ तोहसे जउन पराथना करत हउँ, सुना। मइँ तोहार सेवक हउँ। 20 मइँ पराथना करत हउँ कि तोहार आँखिन मन्दिर क लखइ बरे दिन रात खुली रहइँ। तू कहे रह्या कि तू इ जगह पइ आपन नाउँ अंकित करब्या। मन्दिर क लखत भवा जब मइँ तोहसे पराथना करत हउँ तउ तू मोर पराथना सुना। 21 मोर पराथनन क सुना अउर तोहरे इस्राएल क लोग जउन पराथनन करत अहइँ, ओनका भी सुना। जब हम तोहरे मन्दिर क लखत भए पराथनन करित ह तउ तू हमार पराथनन क सुना। तू सरग मँ जहाँ रहत ह हुवँइ स सुना अउर जब तू हमार पराथनन सुन्या तउ तू हमका छिमा करा।

22 “अगर कउनो मनई कउनो दूसर मनई क संग कछू बुरा करइ क कलंकित होइ, तउ उ कलंकित मनई तोहार नाउँ लेइके प्रतिग्या करी कि उ निरपराध अहइ, तउ जब उ तोहरी वेदी क समन्वा सपथ लेइ बरे आवइ, 23 तउ तू सरग स सुना। तू अपने सेवकन क फैसला करा अउर ओका कार्यान्वित करा। दोखी मनई क सजा द्या अउर ओका ओतना कस्ट होइ द्या जेतना कस्ट उ दूसरे क दिहेस होइ। इ साबित करा कि जउन मनई अच्छा कार्य किहेस ह, उ निरपराध अहइ अउर ओका ओकर अच्छाई क कारण ओका इनाम द्या।

24 “होई सकत ह तोहार लोग, इस्राएलियन आपन दुस्मनन स पराजित होइ, काहेकि उ पचे तोहरे खिलाफ पाप किहेन ह। अगर उ पचे तोहार लगे पराथना करइ बरे लउटी आई अउर इ मन्दिर स तोहार नाउँ क स्तुति करी, तउ 25 सरग स अपने लोगन क सुना अउर इस्राएलिएन क पापन क छिमा करा। ओनका उ भुइयाँ मँ लउटावा जेका तू ओनका अउर ओनके पुरखन क दिहे रह्या।

26 “होइ सकत आसमान बन्द होइ एह बरे बर्खा न होइ। उ तब होइ जब इस्राएल क लोग तोहरे बिरुद्ध पाप करिही। जदि उ पचन्क एकर पछतावा होइ अउर तोहार नाउँ क स्वीकार करइ अउ इ मन्दिर क ओर पारथना करइ अउर जदि उ पचे पाप करब तजि देइहीं काहेकि तू ओनका सजा दिहेस ह, 27 तउ सरग स तू ओनकर सुना। तू ओनकर सुना अउर ओनके पापन क छिमा करा। इस्राएल क लोग तोहार सेवक अहइँ। तब ओनका सही मारग क उपदेस द्या जेह पइ उ पचे चल सकत। तू अपनी भुइँया पइ बर्खा करा जउन तू अपने लोगन क दिहे रह्या।

28 “अगर हुवाँ भुइँया मँ कउनो अकाल या महामारी या अगर फसलन क बेरामी बर्बाद होइ जाइ या अगर फफूँदी या अगर टिड्डी अउर टिड्डे या जदि इस्राएल क लोगन क नगरन मँ ओनकर दुस्मन घेरा डाइ देइँ, या जदि इस्राएल मँ कउनो प्रकार क बेरामी होइ, 29 अउर तब तोहार लोग अर्थात इस्राएल क कउनो मनई पराथना या याचना करइ अउ हर एक मनई अपनी आपत्ति अउ पीरा क जानत रहइ अउ जदि उ मनई इ मन्दिर क लखत भए आपन-आपन हाथ अपनी बाँह उठावइ 30 तउ तू ओनकर सरग स सुना। सरग उहइ अहइ जहाँ तू अहा। सुना अउर छिमा करा। हर एक मनई क ओकरे हक द्या काहेकि तू जानत ह कि हर एक मनई क हिरदइ मँ का बाटइ। सिरिफ तू ही जानत ह कि मनई क हिरदइ मँ का बाटइ। 31 तब लोग तोहसे डेरइहीं अउर तोहार आग्या मानिहीं जब तलक उ पचे देस मँ रहिहीं जेका तू हमरे पुरखन क दिहे रह्या।

32 “कउनो अइसा अजनबी होइ सकत ह जउन तोहार इस्राएल क लोगन मँ स न होइ, किन्तु उ देस स आवा होइ जउन बहोत दूर होइ अउर उ अजनबी इ बरे आवा होइ काहेकि उ तोहार महान नाउँ, तोहार महान सक्ती अउर बड़की ताकत बरे सुनेइ होइ। जब उ मनई आवइ अउर इ मन्दिर क लखत भवा पराथना करइ, 33 तब सरग स जहाँ तू रहत ह, सुना अउर तू ओका अनुदान द्या जउन उ चाहत ह। तब सारे संसार क रास्ट्र तोहार नाउँ जनिहीं अउर तोहार आदर वइसे करिहीं जइसे तोहार लोग अर्थात इस्राएली करत हीं अउर संसार क सबहिं लोग जनिहीं कि जउने मन्दिर क मइँ बनवाएउँ ह उ तोहरे नाउँ स जाना जात ह।

34 “जब तू अपने लोगन क कउनो जगह पइ ओनकर दुस्मनन क संग लड़इ बरे पठएस अउर उ पचे इ नगर कइँती लखिके पराथना करइँ, जेका तू चुन्या ह अउ इ मंन्दिर कइँती लखइँ जेका मइँ तोहरे नाउँ बरे बनाएउँ ह। 35 तउ ओकर पराथना अउर याचना क सरग स सुना अउर ओकर सहायता करा।

36 “लोग तोहरे खिलाफ पाप करिहीं कउनो अइसा मनई नाहीं जउन पाप न करत होइ अउर तू ओन पइ क्रोधित होब्या। तू कउनो दुस्मन क ओनका हरावइ देब्या अउर ओनसे धरे जाइ देब्या अउ बहोत दूर या निचके क भुइँया मँ जाइ देब्या। 37 किन्तु जब उ पचे आपन बिचार बदलिहीं अउर पछतावा करिहीं अउर तोहसे याचना करिहीं जब कि उ पचे बन्दी बनाए जाइवाले देस मँ ही अहइँ। उ पचे कहिहीं, ‘हम लोग पाप किहा ह, हम लोग बुरा किहा ह अउ हम लोग दुट्ठता कीन्ह ह।’ 38 तब उ पचे उ देस मँ जहाँ उ पचे बन्दी क रूप मँ अहइँ, अपने पूरे हिरदइ व आतिमा स तोहरे लगे लउटिहीं अउर इ देस कइँती जउन तू ओनके पुरखन क दिहा ह, इ नगर कइँती जेका तू चुन्या ह, अउर इ मन्दिर कइँती जउन मइँ तोहरे नाउँ क महिमा बरे बनाएउँ ह, ओकरे कइँती मुँह कइके पराथना करिहीं। 39 जब अइसा होइ तउ तू सरग स ओकर सुना। सरग तोहार आवास अहइ। ओनकर पराथना अउर याचना क स्वीकार करा अउर ओनकर सहायता करा अउर अपने ओन लोगन क छिमा कइ द्या जउन तोहरे खिलाफ पाप किहन ह। 40 अब, मोरे परमेस्सर, मइँ तोहसे माँगत हउँ, तू अपनी आँखी अउर कान खोल ल्या। तू हम लोगन क, जउन पराथना इ जगह पइ करत अहइँ ओका सुना अउर ओह पइ धियान द्या।

41 “अब, हे यहोवा परमेस्सर उठा अउर अपने करार क सन्दूख क संग
    जउन कि तोहार सक्ती क स्थल अहइ आपन बिस्राम स्थल पइ आवा।
तोहार याजक मुक्ती रूपी वस्त्र पहिरा रहइ।
    हे यहोवा, परमेस्सर तोहार भक्तजन तोहार अच्छाई मँ आनन्दित होइ।
42 हे यहोवा, परमेस्सर अपने अभिसिक्त राजा क स्वीकार करा।
    अपने सेवक दाऊद क विस्वासभक्ति क याद राख।”