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चार रथन

तब फुन मइँ घूमाएउँ अउ आपन निगाह क उठाएउँ अउर मइँ चार रथन क लखेउँ। उ सबइ काँसे क दुइँ ठु पर्वतन क बीच स निकरत रही। प्रथम रथ क लाल घोड़न हीचंत रहेन। दूसर रथ क करिया घोड़न हीचंत रहेन। तीसर रथे क उज्जर घोड़न हींचत रहेन। तब मइँ सरगदूत स पूछेउँ कि कउन मोस बात किहेस।, “महोदय, एन चिजियन क तात्पर्य का अहइ?”

सरगदूत कहेस, “इ सबइ चारिहुँ दिसा क ह्वा क प्रतीक अहइँ। उ सबइ सबहिं सारे संसार क सुआमी क हिआँ स आएन हँ। करिया घोड़न उत्तर कइँती जइहीं। लाल घोड़न पूरब कइँती जइहीं। उज्जर घोड़न पच्छिम क जइहीं अउर भोरा धब्बादार घोड़न दविखन क जइहीं।”

तब ताकतवर घोड़न बाहेर आएन। उ सबइ धरती क गस्त लगाइ बरे उत्सुक रहेन। एह बरे उ ओनसे कहेस, “जा, धरती क गस्त लगावा!” एह बरे, उ पचे धरती क गस्त किहेन।

तब उ जोर स गोहरात भए कहेस, “लखा, उ सबइ जउन उत्तर कइँती जात रहेन। उ सबइ उत्तर कइँती मँ मोर आतिमा क सान्त कइ दिहन।”

याजक यहोसू एक ठु मुकुट पावत ह

अउर यहोवा क बचन मोर लगे आएस, उ कहेस: 10 “ओन लोगन स चाँदी अउर सोना ल्या जेनका बन्दी बना गवा अहइ। हेल्दै, तोबिय्याह अउर यदायाह स ल्या जउन बालेल स आवा रहा। अउर उहइ दिन सपन्याह क पूत योसियाह क घर जा। 11 सोना अउर चाँदी ल्या अउर एक ठु मुकुट बनावा। अउर उ मुकुट क यहोसादाक क पूत महा याजक यहोसू क मूँड़े पइ राखा। 12 अउर तू ओसा कहा, इ उहइ अहइ जउन सर्वसक्तीमान यहोवा कहत ह:

‘हिआँ एक मनई अहइ जेकर नाउँ “साख” अहइ।
    ओका साख कहा गवा काहेकि उ हुवाँ स जहाँ उ अहइ
    साखा निकारब अउर यहोवा क एक मन्दिर बनाई।
13 उ उहइ अहइ जउन यहोवा क मन्दिर क बनाई
    अउर उ उहइ अहइ जउन सम्मान पाई।
उ आपन राजसिंहासन पइ बइठी, अउ सासन करिहीं।
    अउर हुवाँ ओकरे सिंहासन क बगल मँ एक ठु याजक होइ
अउर इ दुइनउँ मनई एक संग सदभवना क साथ काम करिहीं।’

14 उ मुकुट यहोवा क मन्दिर हेल्दै, तोबिय्याह, यदायाह अउ सपन्याह क पूत योसियाह बरे स्मृति चिन्ह होइ।”

15 लोग जउन दूर रहिहीं यहोवा क मन्दिर क निर्माण करइ बरे आइहीं। तउ तू पचे समुझब्या कि सर्वसक्तीमान यहोवा मोका तू लोगन क लगे पठएस ह। इ सब कछू घटित होइ जदि तू पचे यहोवा आपन परमेस्सर क ठीक तरह स पालन करब्या।