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बच्चे और माता-पिता

हे बालकों, प्रभु में आस्था रखते हुए माता-पिता की आज्ञा का पालन करो क्योंकि यही उचित है। “अपने माता-पिता का सम्मान कर।”(A) यह पहली आज्ञा है जो इस प्रतिज्ञा से भी युक्त है, “तेरा भला हो और तू धरती पर चिरायु हो।”(B)

और हे पिताओं, तुम भी अपने बालकों को क्रोध मत दिलाओ बल्कि प्रभु से मिली शिक्षा और निर्देशों को देते हुए उनका पालन-पोषण करो।

सेवक और स्वामी

हे सेवको, तुम अपने सांसारिक स्वामियों की आज्ञा निष्कपट हृदय से भय और आदर के साथ उसी प्रकार मानो जैसे तुम मसीह की आज्ञा मानते हो। केवल किसी के देखते रहते ही काम मत करो जैसे तुम्हें लोगों के समर्थन की आवश्यकता हो। बल्कि मसीह के सेवक के रूप में काम करो जो अपना मन लगाकर परमेश्वर की इच्छा पूरी करते हैं। उत्साह के साथ एक सेवक के रूप में ऐसे काम करो जैसे मानो तुम लोगों की नहीं प्रभु की सेवा कर रहे हो। याद रखो, तुममें से हर एक, चाहे वह सेवक या स्वतन्त्र है यदि कोई अच्छा काम करता है, तो प्रभु से उसका प्रतिफल पायेगा।

हे स्वामियों, तुम भी अपने सेवकों के साथ वैसा ही व्यवहार करो और उन्हें डराना-धमकाना छोड़ दो। याद रखो, उनका और तुम्हारा स्वामी स्वर्ग में है और वह कोई पक्षपात नहीं करता।

प्रभु का अभेद्य कवच धारण करो

10 मतलब यह कि प्रभु में स्थित होकर उसकी असीम शक्ति के साथ अपने आपको शक्तिशाली बनाओ। 11 परमेश्वर के सम्पूर्ण कवच को धारण करो। ताकि तुम शैतान की योजनाओं के सामने टिक सको। 12 क्योंकि हमारा संघर्ष मनुष्यों से नहीं है, बल्कि शासकों, अधिकारियों इस अन्धकारपूर्ण युग की आकाशी शक्तियों और अम्बर की दुष्टात्मिक शक्तियों के साथ है। 13 इसलिए परमेश्वर के सम्पूर्ण कवच को धारण करो ताकि जब बुरे दिन आयें तो जो कुछ सम्भव है, उसे कर चुकने के बाद तुम दृढ़तापूर्वक अडिग रह सको।

14-15 सो अपनी कमर पर सत्य का फेंटा कस कर धार्मिकता की झिलम पहन कर तथा पैरों में शांति के सुसमाचार सुनाने की तत्परता के जूते धारण करके तुम लोग अटल खड़े रहो। 16 इन सब से बड़ी बात यह है कि विश्वास को ढाल के रूप में ले लो। जिसके द्वारा तुम उन सभी जलते तीरों को बुझा सकोगे, जो बदी के द्वारा छोड़े गये हैं। 17 छुटकारे का शिरस्त्राण पहन लो और परमेश्वर के संदेश रूपी आत्मा की तलवार उठा लो। 18 हर प्रकार की प्रार्थना और निवेदन सहित आत्मा की सहायता से हर अवसर पर विनती करते रहो। इस लक्ष्य से सभी प्रकार का यत्न करते हुए सावधान रहो। तथा सभी संतों के लिये प्रार्थना करो।

19 और मेरे लिये भी प्रार्थना करो कि मैं जब भी अपना मुख खोलूँ, मुझे एक सुसंदेश प्राप्त हो ताकि निर्भयता के साथ सुसमाचार के रहस्यपूर्ण सत्य को प्रकट कर सकूँ। 20 इसी के लिए मैं ज़ंजीरों में जकड़े हुए राजदूत के समान सेवा कर रहा हूँ। प्रार्थना करो कि मैं, जिस प्रकार मुझे बोलना चाहिए, उसी प्रकार निर्भयता के साथ सुसमाचार का प्रवचन कर सकूँ।

अंतिम नमस्कार

21 तुम भी, मैं कैसा हूँ और क्या कर रहा हूँ, इसे जान जाओ। सो तुखिकुस तुम्हें सब कुछ बता देगा। वह हमारा प्रिय बंधु है और प्रभु में स्थित एक विश्वासपूर्ण सेवक है 22 इसीलिए मैं उसे तुम्हारे पास भेज रहा हूँ ताकि तुम मेरे समाचार जान सको और इसलिए भी कि वह तुम्हारे मन को शांति दे सके।

23 हे भाइयों, तुम सब को परम पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से विश्वास शांति और प्रेम प्राप्त हो। 24 जो हमारे प्रभु यीशु मसीह से अमर प्रेम रखते हैं, उन पर परमेश्वर का अनुग्रह होता है।

पारिवारिक नैतिकता के विषय में निर्देश

हे बालकों, प्रभु में अपने माता-पिता का आज्ञापालन करें क्योंकि उचित यही है. अपने माता-पिता का सम्मान करो—आज्ञाओं में से यह ऐसा पहिली आज्ञा है जिसके साथ प्रतिज्ञा जुड़ी है तुम्हारा भला हो और तुम पृथ्वी पर बहुत दिन तक जीवित रहो. तुम में जो पिता हैं, अपनी सन्तान को रिस न दिलाएं परन्तु प्रभु की शिक्षा व अनुशासन में उनका पालन-पोषण करें.

जो दास हैं, अपने सांसारिक स्वामियों का आज्ञापालन सच्चाई से व एकचित्त होकर ऐसे करें मानो मसीह का. यह सब दिखावे मात्र व उन्हें प्रसन्न करने के उद्धेश्य मात्र से नहीं परन्तु मसीह के दास के रूप में हृदय से परमेश्वर की इच्छा की पूर्ति करते हुए हो. सच्चे हृदय से स्वामियों की सेवा इस प्रकार करते रहो मानो मनुष्य मात्र की नहीं परन्तु प्रभु की सेवा कर रहे हो यह जानते हुए कि हर एक मनुष्य चाहे वह दास हो या स्वतन्त्र, अपने अच्छे कामों का प्रतिफल प्रभु से प्राप्त करेगा.

जो स्वामी हैं, वे भी दासों के साथ ऐसा ही व्यवहार करें और उन्हें डराना-धमकाना छोड़ दें, यह ध्यान रखते हुए कि तुम्हारे व दासों दोनों ही के स्वामी स्वर्ग में हैं, जिनके स्वभाव में किसी भी प्रकार का भेद-भाव नहीं है.

परमेश्वर के अस्त्र-शस्त्र धारण करना

10 इसलिए, प्रभु व उनके अपार सामर्थ्य में बलवन्त बनो. 11 परमेश्वर के सभी अस्त्र-शस्त्रों से स्वयं को सुसज्जित कर लो कि तुम शैतान के छल-बल के प्रतिरोध में खड़े रह सको. 12 हमारा मल्ल-युद्ध सिर्फ मनुष्यों से नहीं, परन्तु प्रधानों, अधिकारियों, अन्धकार की सांसारिक शक्तियों और आकाशमण्डल में दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है. 13 इसलिए स्थिर खड़े रहने के लिए सभी ज़रूरतों को पूरी कर परमेश्वर के सभी अस्त्र-शस्त्रों से स्वयं को सुसज्जित कर लो कि तुम उस बुरे दिन में सामना कर सको. 14 इसलिए अपनी कमर सच से कस कर, धार्मिकता का कवच धारण कर स्थिर खड़े रहो. 15 पाँवों में शान्ति के ईश्वरीय सुसमाचार के प्रचार की तत्परता के जूते धारण कर लो. 16 इनके अलावा विश्वास की ढाल भी, कि तुम दुष्ट के सभी जलते हुए बाणों को बुझा सको. 17 तब उद्धार का टोप तथा आत्मा की तलवार—परमेश्वर का वचन—धारण कर लो 18 तथा आत्मा में हर समय विनती और प्रार्थना की जाती रहे. जागते हुए लगातार बिना थके प्रयास करना तुम्हारा लक्ष्य हो. सभी पवित्र लोगों के लिए निरन्तर प्रार्थना किया करो.

19 मेरे लिए भी प्रार्थना करो कि मेरा मुख खुलने पर मुझे ईश्वरीय सुसमाचार के भेद की साहस के साथ बोलने की क्षमता प्रदान की जाए, 20 जिस ईश्वरीय सुसमाचार के लिए मैं इन बेड़ियों में भी राजदूत हूँ कि मैं इनमें रहते हुए साहस के साथ बोल सकूँ—जैसा कि सही भी है.

व्यक्तिगत समाचार और आशीर्वचन

21 तुख़िकॉस, जो प्रभु में मेरा प्रिय भाई और एक विश्वासयोग्य सेवक है, तुम्हें मेरी सभी परिस्थितियों और गतिविधियों से अवगत करा देगा. 22 मैं उसे तुम्हारे पास इसी उद्धेश्य से भेज रहा हूँ कि तुम हमारी स्थिति से अवगत हो जाओ और वह तुम्हें प्रोत्साहित कर सके.

23 पिता परमेश्वर और प्रभु मसीह येशु की ओर से सभी विश्वासियों को शान्ति. विश्वास के साथ सप्रेम नमस्कार. 24 उन सभी पर अनुग्रह होता रहे, जो हमारे प्रभु मसीह येशु से कभी न खत्म होने वाला प्रेम करते हैं.