लूका 4:1-13
Hindi Bible: Easy-to-Read Version
यीशु की परीक्षा
(मत्ती 4:1-11; मरकुस 1:12-13)
4 पवित्र आत्मा से भावित होकर यीशु यर्दन नदी से लौट आया। आत्मा उसे वीराने में राह दिखाता रहा। 2 वहाँ शैतान ने चालीस दिन तक उसकी परीक्षा ली। उन दिनों यीशु बिना कुछ खाये रहा। फिर जब वह समय पूरा हुआ तो यीशु को बहुत भूख लगी।
3 सो शैतान ने उससे कहा, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो इस पत्थर से रोटी बन जाने को कह।”
4 इस पर यीशु ने उसे उत्तर दिया, “शास्त्र में लिखा है:
‘मनुष्य केवल रोटी पर नहीं जीता।’”(A)
5 फिर शैतान उसे बहुत ऊँचाई पर ले गया और पल भर में ही सारे संसार के राज्यों को उसे दिखाते हुए, 6 शैतान ने उससे कहा, “मैं इन राज्यों का सारा वैभव और अधिकार तुझे दे दूँगा क्योंकि वह मुझे दिया गया है और मैं उसे जिसको चाहूँ दे सकता हूँ। 7 सो यदि तू मेरी उपासना करे तो यह सब तेरा हो जायेगा।”
8 यीशु ने उसे उत्तर देते हुए कहा, “शास्त्र में लिखा है:
‘तुझे बस अपने प्रभु परमेश्वर की ही उपासना करनी चाहिये।
तुझे केवल उसी की सेवा करनी चाहिए!’”(B)
9 तब वह उसे यरूशलेम ले गया और वहाँ मन्दिर के सबसे ऊँचे शिखर पर ले जाकर खड़ा कर दिया। और उससे बोला, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है तो यहाँ से अपने आप को नीचे गिरा दे! 10 क्योंकि शास्त्र में लिखा है:
‘वह अपने स्वर्गदूतों को तेरे विषय में आज्ञा देगा कि वे तेरी रक्षा करें।’(C)
11 और लिखा है:
‘वे तुझे अपनी बाहों में ऐसे उठा लेंगे
कि तेरे पैर तक किसी पत्थर को न छुए।’”(D)
12 यीशु ने उत्तर देते हुए कहा, “शास्त्र में यह भी लिखा है:
‘तुझे अपने प्रभु परमेश्वर को परीक्षा में नहीं डालना चाहिये।’”(E)
13 सो जब शैतान उसकी सब तरह से परीक्षा ले चुका तो उचित समय तक के लिये उसे छोड़ कर चला गया।
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